आओ जुक कर सलाम करे उन्हें,
जिनके हिस्से में ये मुकाम आता है…
किस कदर खुश नसीब है वो लोग,
खून जिसका वतन के काम आता है.
यह बात भारत के उस वीर के लिए फिट बैठती है, जिन्होंने अपने ही हाथों से अपना पैर
काट लिया था. यह कहानी है…भारत के उस सपूत की, जिनके नाम से गोरखा रेजिमेंट की
वीरता का पता चलता है.
काट लिया था. यह कहानी है…भारत के उस सपूत की, जिनके नाम से गोरखा रेजिमेंट की
वीरता का पता चलता है.
तो आइए जानते है, खुद के हाथों से खुद का पैर काटने वाले ‘इयान कार्डोज़ो’ की
जीवनी के बारे में.
जीवनी के बारे में.
मेजर जनरल इयान कार्डोज़ो की जीवनी – Biography of Major General Ian Cardozo
मेजर जनरल इयान कार्डोज़ो Major General Ian Cardozo का जन्म ब्रिटिश भारत मे 7 अगस्त 1937 में महाराष्ट्र
में हुआ था. महाराष्ट्र के बॉम्बे में जन्मे इयान कार्डोज़ो को बचपन से ही सेना
में काम करके भारत माँ की सेवा करने का जुनून था.
में हुआ था. महाराष्ट्र के बॉम्बे में जन्मे इयान कार्डोज़ो को बचपन से ही सेना
में काम करके भारत माँ की सेवा करने का जुनून था.
इयान कार्डोज़ो Ian Cardozo का जन्म महाराष्ट्र के एक मध्यम परिवार में हुआ था. उन्होंने ने
अपनी पढ़ाई सेंट. जेवियर्स कॉलेज ऑफ मुंबई से की थी. बचपन से ही महेनती और जांबाज
रहे इयान कार्डोज़ो केवल 17 साल की उम्र में ही भारतीय सेना में शामिल हो गए थे.
अपनी पढ़ाई सेंट. जेवियर्स कॉलेज ऑफ मुंबई से की थी. बचपन से ही महेनती और जांबाज
रहे इयान कार्डोज़ो केवल 17 साल की उम्र में ही भारतीय सेना में शामिल हो गए थे.
साल 1954 में भारतीय सेना में भर्ती हुए इयान कार्डोज़ो Ian Cardozo ने सबसे पहले राष्ट्रीय
रक्षा अकादमी से उतीर्ण होकर भारतीय सैन्य अकादमी में हिस्सा लिया.
रक्षा अकादमी से उतीर्ण होकर भारतीय सैन्य अकादमी में हिस्सा लिया.
इयान कार्डोज़ो Ian Cardozo ने अपने मिलिट्री करियर की शुरुआत 5 गोरखा राइफल्स बटालियन से की
थी. कुछ सालो में ही इयान कार्डोज़ो को उनकी बहादुरी देखकर 1/5 गोरखा
रेजिमेंट राइफल की पहली बटालियन की कमान दी थी.
थी. कुछ सालो में ही इयान कार्डोज़ो को उनकी बहादुरी देखकर 1/5 गोरखा
रेजिमेंट राइफल की पहली बटालियन की कमान दी थी.
साल 1971 में ईस्ट पाकिस्तान की आजादी को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच हुई
लड़ाई में इयान कार्डोज़ो ने अपना परम साहस दिखाया था. साल 1971 में हुई भारत और
पाकिस्तान की लड़ाई में इयान कार्डोज़ो Ian Cardozo ने गोरखा रेजिमेंट के साथ मिलकर युद्ध मे
हिस्सा लिया था.
लड़ाई में इयान कार्डोज़ो ने अपना परम साहस दिखाया था. साल 1971 में हुई भारत और
पाकिस्तान की लड़ाई में इयान कार्डोज़ो Ian Cardozo ने गोरखा रेजिमेंट के साथ मिलकर युद्ध मे
हिस्सा लिया था.
तब इयान कार्डोज़ो Ian Cardozo गोरखा रेजिमेंट के मेजर थे. वह पाकिस्तान के खिलाफ हुए
युद्ध मे अपनई टुकड़ी को लीड कर रहे थे. उसी युद्ध के दौरान इयान कार्डोज़ो का
एक पैर पाकिस्तानियो द्वारा बिछाई गई लेनमाईन पर पड़ा और लेनमाईन फटने की वजह
से उनका एक पैर बुरी तरह से जख्मी हो गया था.
युद्ध मे अपनई टुकड़ी को लीड कर रहे थे. उसी युद्ध के दौरान इयान कार्डोज़ो का
एक पैर पाकिस्तानियो द्वारा बिछाई गई लेनमाईन पर पड़ा और लेनमाईन फटने की वजह
से उनका एक पैर बुरी तरह से जख्मी हो गया था.
मेजर जनरल इयान कार्डोज़ो Ian Cardozo को जल्द ही मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत थी. परंतु
वहाँ कोई भारतीय डॉक्टर मौजूद नही था. इयान कार्डोज़ो के पैर का जहर उनके शरीर
मे फैलने से रोकने के लिए उनका पैर काटना बहुत जरूरी था. परंतु वहाँ पर खड़े
सभी सैनिकों ने पैर काटने से मना कर गया. क्योंकि, किसी की हिम्मत ही नही हो
रही थी.
तभी मेजर जनरल इयान कार्डोज़ो Ian Cardozo ने अपने साहस का अदम्य परिचय देते हुए उन्होंने
अपनी कुखरी निकाली और अपने ही हाथों से अपना पैर काट लिया. इयान कार्डोज़ो ने
अपना कटा हुआ पैर अपने साथी को दिया और दफन करने को कहा.
अपनी कुखरी निकाली और अपने ही हाथों से अपना पैर काट लिया. इयान कार्डोज़ो ने
अपना कटा हुआ पैर अपने साथी को दिया और दफन करने को कहा.
उस समय इयान कार्डोज़ो का इलाज गिरफ्तार किए गए पाकिस्तानी डॉक्टर मेजर महमद
बसीर ने की थी. इयान कार्डोज़ो तो इलाज करवाने से मना कर रहे थे. परंतु, अपने
साथियों के समजने पर मान गए थे. इयान कार्डोज़ो ने एक शर्त रखी थी कि, उन्ही
किसी पाकिस्तानी का खून न चढ़ाया जाय. इतनी जखनि हालात में भी इयान कार्डोज़ो Ian Cardozo 10 दिनों तक युद्ध करते रहे.
बसीर ने की थी. इयान कार्डोज़ो तो इलाज करवाने से मना कर रहे थे. परंतु, अपने
साथियों के समजने पर मान गए थे. इयान कार्डोज़ो ने एक शर्त रखी थी कि, उन्ही
किसी पाकिस्तानी का खून न चढ़ाया जाय. इतनी जखनि हालात में भी इयान कार्डोज़ो Ian Cardozo 10 दिनों तक युद्ध करते रहे.
अपना एक पैर काट जाने की वजह से मेजर जनरल इयान कार्डोज़ो ने लकड़ी का पैर
लगाया. विकलांग होने की वजह से उन्हें सेना में तरक्की देने से मना कर दिया.
तभी उन्होंने सेना के प्रति अपना लगाव और साहस देखते हुए 6000 फुट ऊंचे चढ़ाई
करके हेलीपेड पर पहुच गए थे. उन्हें अपनी फिटनेस साबित करने के लिए लदाख की
बर्फीली पहाड़ियों पर भी चढ़ाया गया. उसके बाद उन्हें सेना में तरक्की
मिली.
लगाया. विकलांग होने की वजह से उन्हें सेना में तरक्की देने से मना कर दिया.
तभी उन्होंने सेना के प्रति अपना लगाव और साहस देखते हुए 6000 फुट ऊंचे चढ़ाई
करके हेलीपेड पर पहुच गए थे. उन्हें अपनी फिटनेस साबित करने के लिए लदाख की
बर्फीली पहाड़ियों पर भी चढ़ाया गया. उसके बाद उन्हें सेना में तरक्की
मिली.
बाद में मेजर जनरल इयान कार्डोज़ो Major General Ian Cardozo को भारत सरकार द्वारा अति विशिष्ट सेवा
मैडल, सेना मैडल, रक्षा मैडल, संग्राम मैडल, सैन्य सेवा मैडल जैसे और भी कई
मेडलों से नवाजा गया. आज मेजर जनरल इयान कार्डोज़ो भारतीय सेना के निवृत
अफसर है. मेजर जनरल इयान कार्डोज़ो जी की उम्र आज 82 साल की है. फिर भी
उनकी फिटनेस पहले जैसी ही है.
मैडल, सेना मैडल, रक्षा मैडल, संग्राम मैडल, सैन्य सेवा मैडल जैसे और भी कई
मेडलों से नवाजा गया. आज मेजर जनरल इयान कार्डोज़ो भारतीय सेना के निवृत
अफसर है. मेजर जनरल इयान कार्डोज़ो जी की उम्र आज 82 साल की है. फिर भी
उनकी फिटनेस पहले जैसी ही है.