रानी की वाव एक ऐसी बावड़ी जो गहरी नही पर ऊंची है। रानी की वाव (Rani ki vav) जो
गुजरात राज्य के
पाटन
जिले में स्थित है।
गुजरात राज्य के
पाटन
जिले में स्थित है।
प्राचीन गुजरात के शिल्प स्थापत्य का अजोड़ नमूना है। ये
बावड़ी अपनी प्राचीन वास्तुकला और अदृतयि खूबसूरती के लिए दुनिया भर में मशहूर है।
यह सस्वती नदी sarsvati nadi के किनारे पर स्थित है।
बावड़ी अपनी प्राचीन वास्तुकला और अदृतयि खूबसूरती के लिए दुनिया भर में मशहूर है।
यह सस्वती नदी sarsvati nadi के किनारे पर स्थित है।
इतिहास में सब राजा ने अपनी
रानीयो की याद में कई यादगार चीजे बनाई पर रानी की वाव रानी उदयमती ने अपने पति
की याद में यह बावड़ी बनाई थी। यह सात मंजिला इमारत थी। पर अब वास्तव में इसकी
सिर्फ पांच ही मंजिल बची है।
रानीयो की याद में कई यादगार चीजे बनाई पर रानी की वाव रानी उदयमती ने अपने पति
की याद में यह बावड़ी बनाई थी। यह सात मंजिला इमारत थी। पर अब वास्तव में इसकी
सिर्फ पांच ही मंजिल बची है।
Rani Ki Vav architecture History In Hindi
रानी की वाव Rani ki vav का निर्माण सोलंकी काल मे हुआ था। सोलंकी काल को गुजरात
का स्वनिम युग माना जाता है। सोलंकी काल मे गुजरात की प्रसिद्दि आपने चरम शिखर पर
थी।
का स्वनिम युग माना जाता है। सोलंकी काल मे गुजरात की प्रसिद्दि आपने चरम शिखर पर
थी।
एक रानी ने अपने पति की याद में यह बावड़ी बनाई थी इसी लिए इस बावड़ी Bavdi को
रानी की वाव कहा जाता है। रानी की वाव rani ki vav जो एक सीढ़ी दार कुँवा है। अपने
समय की यह इकलौती बावड़ी `रानी की वाव rani ki vav जो चारो तरफ से अलौकिक मूर्तियो
और प्राचीन कलाकृतियों से गिरी हुई है।
रानी की वाव कहा जाता है। रानी की वाव rani ki vav जो एक सीढ़ी दार कुँवा है। अपने
समय की यह इकलौती बावड़ी `रानी की वाव rani ki vav जो चारो तरफ से अलौकिक मूर्तियो
और प्राचीन कलाकृतियों से गिरी हुई है।
रानी की वाव rani ki vav का निर्माण 11वी सदी में सोलंकी युग मे हुआ था। रानी
की वाव का निर्माण 1063 में पूरा हुआ था।
की वाव का निर्माण 1063 में पूरा हुआ था।
रानी की वाव का निर्माण मूलराज सोलंकी
के दूसरे बेटे भीमराज सोलंकी (प्रथम) की याद में उनकी विधवा पत्नी रानी उदयमती
ने ईश 1022 को चालू करवाया था। जो किसी कारणो की वजह से पूरा नही हो पाया था।
बाद मे इसका निर्माण पाटन Patan के नए राजा कामदेव (प्रथम) ने ईश 1063 में पूरा
करवाया था।
के दूसरे बेटे भीमराज सोलंकी (प्रथम) की याद में उनकी विधवा पत्नी रानी उदयमती
ने ईश 1022 को चालू करवाया था। जो किसी कारणो की वजह से पूरा नही हो पाया था।
बाद मे इसका निर्माण पाटन Patan के नए राजा कामदेव (प्रथम) ने ईश 1063 में पूरा
करवाया था।
रानी की वाव में 500 से भी ज्यादा मूर्तिया है। जिसमें भगवान विश्णु के 24
अवतार मेसे सात अवतार,कल्कि स्वरूप और वामन अवतार को बहुत ही अच्छी तरहा
नकासा हुआ है। रानी की वाव में छोटी बड़ी हजार से भी ज्यादा मुर्तिया है।
अवतार मेसे सात अवतार,कल्कि स्वरूप और वामन अवतार को बहुत ही अच्छी तरहा
नकासा हुआ है। रानी की वाव में छोटी बड़ी हजार से भी ज्यादा मुर्तिया है।
रानी की वाव का निर्माण प्राचीन गुर्जर (गुजरात प्रदेश) मारू
आर्किटेकचर स्टायल में हुआ है। रानी की वाव (Rani ki Vav) 64 मिटर लंबी,27
मिटर गहरी और 20 मिटर चौडी है।
आर्किटेकचर स्टायल में हुआ है। रानी की वाव (Rani ki Vav) 64 मिटर लंबी,27
मिटर गहरी और 20 मिटर चौडी है।
प्राचीन समय मे ईस बावड़ी के पास में
आयुर्वेदिक पौधे उगाये जाते थे। ताकि उसके गुण उस बावड़ी के पानी मे मिल जाये
और उस पानी का इस्तेमाल बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता था।
आयुर्वेदिक पौधे उगाये जाते थे। ताकि उसके गुण उस बावड़ी के पानी मे मिल जाये
और उस पानी का इस्तेमाल बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता था।
कुछ सदी पहले
आये भूकंप में यह बावड़ी जमीन में दब गई थी बाद मे इसे पुरातत्व विभाग द्वारा
पुनः खोज लिया गया।
आये भूकंप में यह बावड़ी जमीन में दब गई थी बाद मे इसे पुरातत्व विभाग द्वारा
पुनः खोज लिया गया।
Rani ki vav UNESCO
22 जून, 2014 को इस बावडी को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर में शामिल किया गया
था। इस प्राचीन बावड़ी को 20 जुलाई 2018 में RBI के द्वारा जारी 100 रुपये के
नए नोट पर इसको प्रिंट किया गया है। रानी की वाव Rani ki Vav की तस्वीर 100
रुपये के नोट पर बहुत ही अच्छी लग रही है।
था। इस प्राचीन बावड़ी को 20 जुलाई 2018 में RBI के द्वारा जारी 100 रुपये के
नए नोट पर इसको प्रिंट किया गया है। रानी की वाव Rani ki Vav की तस्वीर 100
रुपये के नोट पर बहुत ही अच्छी लग रही है।
अगस्त के महीने में हर साल रानी की वाव उत्शव दो दिन के लिए मनाया जाता है।
जिसका सारा आयोजन गुजरात सरकार करती है।
जिसका सारा आयोजन गुजरात सरकार करती है।
स्थान : पाटन जिला,गुजरात राज्य
कब चालू हुआ निर्माण : ईस 1022
कब पूरा हुआ निर्माण : ईस 1063
किसने करवाया निर्माण : रानी उदयमती(भीमदेव सोलंकी प्रथम की विधवा पत्नी)
और निर्माण पूरा करवाया था कामदेव प्रथम ने
और निर्माण पूरा करवाया था कामदेव प्रथम ने
प्रकार : बावड़ी
वास्तुकला : मारू-गुर्जर स्थापत्य कला
यूनेस्को विश्व धरोहर : 22 जून 2014
RBI द्वारा नोट पर : 20 जुलाई 2018