सिद्धराज जयसिंह : गुर्जर प्रदेश का महान राजा।
सिद्धराज जयसिंह गुर्जर प्रदेश का एक ऐसा राजा जिसके समय मे गुजरात की भव्यता अपने चरम शिखर पर थी। सिद्धराज जयसिंह का जन्म गुजरात राज्य के पाटन में हुआ था। सिद्धराज जयसिंह के पिता का नाम करनदेव था और उनकी माता का नाम मिनलदेवी था। करणदेव की मुत्यु के समय पाटन की आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब थी। एक तरफ मुस्लिम हमलावरों से पाटन को खतरा था तो दूसरी तरफ पाटन के आंतरिक विवादो से पाटन की राजगद्दी को खतरा था।
सिद्धराज जयसिंह का जन्म ईस 1081 में पाटन के राजभवन में हुआ था। एक मान्यता के अनुसार सिद्धराज जयसिंह का जन्म पालनपुर में हुआ था पर पालनपुर की स्थापना जयसिंह की मुत्यु के बाद हुई थी। इसी लिए जयसिंह के जन्म का कोई ऐतिहासिक प्रमाण नही है। उस समय मे पाटन गुजरात की राजधानी थी।
सिद्धराज जयसिंह जब 13 वर्ष के थे तब उनके पिता की मृत्यु हुई थी। वह छोटी सी उम्र में ही पाटन के राजा बन गए थे। जब उनकी उम्र छोटी थी तब उनकी माता मिनलदेवी ने और मंत्री मुंजाल ने पाटन का राजपाट संभाला था। जब मालवा के राजा यसोवर्मन ने पाटन पर हमला किया था तब जयसिंह के पिता करणदेव की मृत्यु हुई थी। अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए सिद्धराज जयसिंह ने मालवा पर हमला करके यसोवर्मन को हराया था। मालवा पर विजय पाने के बाद सिद्धराज जयसिंह अवन्तिनाथ के नाम से जाना जाने लगा। सिद्धराज जयसिंह ने अपने जीवन काल मे बहुत लडाईया लडी और अपने राज्य का विस्तार किया।
सिद्धराज जयसिंह का राज्य अब के उत्तर गुजरात, दक्षिण गुजरात,सौराष्ट्र और कच्छ तक था। उनके राज्य में राजस्थान के मेवाड़, मारवाड़,मालवा और सांभार भी सामिल थे। सिद्धराज जयसिंह उत्तम योद्धा, प्रजावत्सल और साहित्य प्रेमी राजा थे। उनके समय मे गुजरात की कीर्ति और समृद्धि आपने परम शिखर पर थी।
सिद्धराज जयसिंह ने जब मालवा पर विजय पाया तब उसे मालवा के खजाने में एक शब्दकोश मिला। तब उसे लगा कि ऐसा एक शब्दकोश उसके पास भी होना चाहिए। तब उसने जैनमुनि हेमचंद्राचार्य को बुलाया और एक शब्दकोश लिख ने को कहा। हेमचंद्राचार्य ने एक लाख शब्द वाले एक ग्रंथ की रचना की। जिसका नाम सिद्धराज जयसिंह और हेमचंद्राचार्य के नाम पर सिद्धहेम शब्दानुशासन रखा। सिद्धराज जयसिंह ने पाटन में सहस्त्रलिंग तालाब की रचना की।
सिद्धराज जयसिंह की शादी लीलावती देवी से हुई थी। पर उनको कोई पुत्र नही था। इसी लिए उनको अपने उतराधिकारी की चिंता रहती थी। पर वह अपने चचेरे भाई के नाती से बहुत प्यार करते थे। परंतु जब जैनमुनि हेमचंद्राचार्य ने भविष्यवाणी की। की सिद्धराज जयसिंह का उत्तराधिकारी कुमालपाल बनेगा तब से वह कुमारपाल से नफरत करने लगे। क्योंकि वह अपने नाती को अपना उत्तराधिकारी मानते थे। पर कीसी कारणों की वजह से कुमारपाल को ही अपना उत्तराधिकारी बनाना पड़ा। सिद्धराज जयसिंह की मृत्यु ईस 1143 में हुई थी।
उपनाम : सिद्धराज, अवन्तिनाथ,बरब्रिकजिसनु
जीवनसाथी : लीलावती देवी
उत्तराधिकारी : कुमारपाल
पिता : कर्णदेव
माता : मिनलदेवी
जन्म : ईस 1091
मुत्यु : ईस 1143