Bhimashankar temple history in hindi – Timing, How to reach Places
Bhimashankar temple history in hndi

Bhimashankar temple history in hindi
भीमाशंकर मंदिर पुणे, महाराष्ट्र, भारत के पास भोरगिरी गांव में स्थित एक ज्योतिर्लिंग मंदिर है। यह भगवान शिव को समर्पित है और शिव के बारह ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से एक माना जाता है। माना जाता है कि मंदिर 13 वीं शताब्दी का है, हालांकि कुछ सबूत हैं जो बताते हैं कि यह और भी पुराना हो सकता है। यह शिव के भक्तों के लिए भी एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है और हर साल हजारों लोगों द्वारा दौरा किया जाता है। मंदिर सुंदर सह्याद्री पहाड़ियों से घिरा हुआ है और एक वन्यजीव अभयारण्य भी है।
भारतीय पुराणों के अनुसार भगवान शिव ने लोककल्याण एवं प्रकृतिकल्याण हेतु भारत मे 12 जगहों पर स्वयंभू प्रगट हुए और लिंग रूप में बिराजमान रहे… उन 12 जगहों को ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा जाने लगा. उन 12 ज्योतिर्लिंगो (12 jyotirlinga) में से एक भीमाशंकर (bhimashankar ) भी है.
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग bhimashankar jyotirlinga 12 ज्योतिर्लिंग (12 jyotirlinga) में से एक और छटवां प्रमुख ज्योतिर्लिंग (jyotirlinga) है. भारत मे भीमाशंकर bhimashankar नाम के दो मंदिर प्रचलित है. एक महाराष्ट्र के पुणे में स्थित है और दूसरा आसाम के कामरूप जिले में स्थित है. प्राचीन समय मे आसाम को कामरूप के नाम से जाना जाता था।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग – Bhimashankar jyotirlinga
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का इतिहास – Bhimashankar jyotirlinga History

शिवमहापुराण के कोटिरुद्रसंहिता में उल्लेखनीय ज्योतिर्लिंग (jyotirlinga) को कामरूप देश मे स्थित माना गया है. आसाम को प्राचीन समय मे कामरूप के नाम से जाना जाता था. शिवपुराण (shivapuran) के अनुसार भीम नामक राक्षस जो कुम्भकर्ण का पुत्र था वो अपनी माता कर्कटी के साथ रहता था. बड़े होने पर भीम ने अपनी माता से अपने पिता के बारे में पूछ लिया…की वह कौन है और कहा है. तब कर्कटी ने बताया कि तुम्हारे पिता का नाम महाबली कुम्भकर्ण है. जिनका वध श्री राम ने किया.
कुम्भकर्ण के बाद कर्कटी ने दुबारा विराध नाम के राक्षस से शादी की. पर विराध का वध भी श्री राम और लक्ष्मण ने किया था. उसके बाद कर्कटी अपने माता – पिता के साथ रहने लगी. पर उसके माता – पिता ने जब अगस्त्यमुनि के शिष्य को अपना आहार बनाना चाहा तो उस शिष्य ने उनको भस्म कर दिया.
अपने पिता और परिवार जनों की मृत्यु का कारण पता चलने पर भीम ने विष्णुजी और अन्य देवताओं से बदला लेने का निश्चय किया. भीम ने ब्रह्माजी की 1000 वर्षो तक कठोर तपस्या की. भीम की तपस्या से खुश होकर ब्रह्माजी ने भीम को दर्शन दिया और वरदान मांगने को कहा. वरदान के रूप में भीम ने अजेय होना स्वीकारा.
अजेयता का वरदान मिलने के बाद भीम ने सर्व प्रथम देवलोक पर हमला किया और सारे देवताओ की हराया. उस के बाद भीम ने श्री विष्णु पर हमला किया पर विष्णुजी ने ब्रह्माजी के वरदान का मान रखते हुए वह भीम से युद्ध हार गए.देवलोग जितने के बाद भीम ने पृथ्वी को जीतने के लिए पृथ्वी पर आया और सबसे पहले भीम ने कामरूप देश पर हमला किया और वहाँ के राजा सुदक्षिण को बंदी बनाया.
सुदक्षिण भगवान शिव के बड़े भक्त थे. उन्होंने कारागृह में ही भगवान शिव का पार्थिव लिंग बना कर पूजा करने लगे. यह बात भीम को पता चलने पर वह राजा सुदक्षिण के पास आया और लिंग तोड़ने का प्रयाश किया…पर भगवान शिव वहां प्रगट हुए और भीम का वध किया.
राजा सुदक्षिण के आग्रह पर भगवान शिव लोककल्याण एवं प्रकृतिकल्याण हेतु वहां बिराजमान हो गए. भीम से युद्ध करने के कारण उस शिवलिंग का नाम भीमाशंकर ( bhimashankar) पड़ा.
भीमाशंकर मंदिर (bhimashankar temple) को मराठा साम्राज्य के राजा छत्रपति शिवाजी महाराज ने करवाया था. शिवाजी महाराज ने इस मंदिर के दर्शन करने वाले भक्तो को कई प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध कराई थी. भीमाशंकर मंदिर (bhimashankar temple) के शिखर का पुनःनिर्माण मराठा पेशवाओ के राजनेता नाना फड़णवीस ने 18वीं सदी में करवाया था. नाना फड़नवीस ने मंदिर के बाहर एक बड़ा घंटा भी लगवाया था…जो मंदिर के दर्शनथियो का प्रमुख आकर्षण का केन्द्र है.
भीमाशंकर मंदिर में पूजा का समय – Bhimashankar Temple Timing
भीमाशंकर मंदिर खुलने का समय | 4:00 A.M. |
कंकडा आरती | 4:30 A.M. TO 5:00 A.M. |
जलाभिषेक | 5:30 A.M. TO 12:00 P.M. |
नैवेध पूजा (जल अभिषेक बंद) | 12:00 P.M. TO 12:30 P.M. |
जलाभिषेक तथा अन्य पूजा | 12:30 P.M. TO 3:00 P.M. |
मंदिर व्यवस्था के कारण दर्शन बंद तथा विशेष पूजा | 3.00 P.M. TO 3:45 P.M. |
श्रृंगार दर्शन ( जल अभिषेक बंद) | 4:00 P.M. TO 9:30 P.M. |
संध्या आरती | 7:30 P.M. TO 8:00 P.M. |
मंदिर बंद | 9:30 P.M. TO 4:30 A.M. |
भीमाशंकर मंदिर के बारे में कुछ रोचक तथ्य – Some interesting facts about bhimashankar temple
- ऐसा माना जाता है कि भीम और भगवान शिव की लड़ाई के बाद भगवान शिव के शरीर से निकले पसीने की एक बूंद से भीमरथी नदी का निर्माण हुआ था.
- यहाँ की पहाड़ियों के आसपास में जंगली वनस्पतियॉ एवं प्राणियों की दुर्लभ प्रजातियां पाई जाती है.
- भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (bhimashankar jyotirlinga) को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है. इसके पीछे की एक बड़ी मान्यता ये भी है कि यहाँ का शिवलिंग आकार में काफी मोटा है.
- भीम ने ब्रह्माजी को प्रसन्न करने के लिए 1000 वर्षो तक सह्याद्रि पर्वत पर तप किया था.
- भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर(bhimashankar jyotirlinga temple ) समुद्रतल से 3250 फिट की ऊंचाई पर स्थित है.
- शिवपुराण (shivapuran) के अनुसार सूर्योदय के बाद जो भी यहाँ सच्ची श्रद्धा से पूजा अर्चना करता है उसको सातो जन्मो के पापो से मुक्ति मिलती है.
भीमाशंकर मंदिर तक कैसे पहुचे – How to reach bhimashankar jyotirlinga
भीमाशंकर मंदिर (bhimashankar Temple तक सीधे पहुचने के लिए केवल थलमार्ग ही है. रेलमार्ग और वायुमार्ग से भीमाशंकर मंदिर तक कोई सीधा मार्ग नही है.
थलमार्ग :- थलमार्ग द्वारा आप भीमाशंकर मंदिर ( bhimashankar temple )भारत के किसी भी शहर से पहुच सकते है.अगर आप थलमार्ग द्वारा भीमाशंकर मंदिर (bhimashankar mandir )जाना चाहते है तो नासिक और पूना के रास्ते से जा सकते है. नासिक और पूना पहुचने के बाद भीमाशंकर मंदिर ( bhimashankar mandir )के लिए आपना साधन बुक कर सकते है.
रेलमार्ग :- आप भीमाशंकर मंदिर (bhimashankar mandir) रेलमार्ग द्वारा जाना चाहते है तो निकटतम रेलवेस्टेशन कर्जत है…जो भीमाशंकर मंदीर से 168 किलोमीटर दूर है. कर्जत रेलवेस्टेशन भारत के बड़े शहरों से प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रेलमार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है. कर्जत पहुचने के बाद आप किराये पर Taxi या बस बुक कर सकते है.
वायुमार्ग :- आप भीमाशंकर मंदिर ( bhimashankar mandir ) वायुमार्ग द्वारा जाना चाहते है तो निकटतम एयरपोर्ट पूना में है. पूना एयरपोर्ट से भीमाशंकर मंदिर ( bhimashankar temple) पहुचने में लगभग ढाई घंटे लगते है. पूना एयरपोर्ट पहुचने के बाद आप किराये पर Taxi या बस बुक कर सकते है.
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