सोमनाथ मंदिर का इतिहास | Somnath Temple histroy In hindi
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भारत भूमि, जो अने को वरसॉ से संतो - महंतो की भूमि रही है। यहां पर ऐसे
कई तीर्थस्थल मौजूद है जिनका अपना अलग - अलग महत्व है...जिनके साथ लाखो -
करोड़ो हिन्दूओ की आस्था जुड़ी हुई है। ऐसा ही एक तीर्थस्थल गुजरात मे
मौजूद है। गुजरात के दक्षिण में स्थित सोमनाथ का मंदिर। (somnath ka
mandir) का इतिहास।

सोमनाथ मंदिर का इतिहास. (somnath mandir history)
सोमनाथ महादेव मंदिर (somnath mahadev temple) के निर्माण का
वर्णन स्कंद पुराण में भी मिलता है.स्कंद पुराण के अनुसार देवी
अनुसूया और ऋषिवर अत्रि के पुत्र का विवाह दक्ष प्रजापति की 16
पुत्रीओ के साथ हुआ था...पर सोम अपनी प्रथम पत्नी रोहिणी से
अधिक प्रेम करते थे.उन्हें अपने तेज पर बहुत अभिमान था.इस बात
से नाराज होकर दक्ष प्रजापति ने सोम को श्राप दे दिया
था...जिससे सोम को क्षय रोग हो गया था
क्षय रोग के कारण सोम का तेज दिन प्रतिदिन कम होता था इस बात से चिंतित सोम
महादेव की सरण में चले गए. महादेव ने श्राप से मुक्त होने के लिए सोम को
तपस्या करने के लिए कहा. सोम ने कृतस्मर्थ पर्वत के पास तपस्या
की...जिससे सोम को श्राप के मुक्ति मिली.
त्रेता युग मे श्रावण महीने के शुक्ल पक्ष में सोम ने एक भव्यातीभव्य मंदिर का निर्माण करवाया. सोम महादेव को अपना नाथ मानते थे इस लिए यह मंदिर का नाम सोमनाथ मंदिर (somnath mandir) पडा. सोमनाथ का मंदिर (somnath ka mandir) श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है. इस तीर्थस्थल पर तपस्या करने के कारण सोम को अपना प्रभाव वापस मिला था इस लिए यह जगह का नाम प्रभास पाटन पड़ा. त्रिवेणी संगम वाला ये स्थान सिर्फ एक तीर्थ स्थल ही नही...ये तो भारतीय जीवन शैली का प्रतीक है. है हर और हरी की आराधना का स्थान है. अंधेरे से प्रकाश की और का रास्ता है.
सोमनाथ मंदिर का श्रीकृष्ण के साथ सबंध

पुराणों के अनुसार, द्वापरयुग में श्रीकृष्ण हिरण्य नदी के किनारे
आराम कर रहे थे... तब जला नाम के पारधी ने श्रीकृष्ण के पैर पर बाण
मारा और यही पर श्रीकृष्ण ने अपना देह त्याग किया. सत्य, प्रेम,भक्ति
और शक्ति के पुजारी श्रीकृष्ण ने ईस पुर्व 3102 में चैत्री सुक्र
प्रतिबधा की दोपहर 2:27 मिनिट में अपने मानव शरीर को छोड़कर चले
गए.
जीवन और जीवनदर्शन की आराधना का स्थान है सोमनाथ मंदिर.हरि और हर के मिलन की अदभुत कहानी है सोमनाथ मंदिर.जीव और शिव के अस्तित्व का प्रमाण है सोमनाथ मंदिर.ज्ञान और संस्कृति के मिलन की पहचान है सोमनाथ मंदिर.

समय बीतता चला गया, हर युग हर समय मे सोमनाथ की यात्रा निरंतर चलती
रही.भगवान,भक्त और भक्ति की आराधना यहाँ गूंजती रही. भारत वर्ष में महादेव के
कुल 12 ज्योतिर्लिंग आज भी मौजूद है. जिसमे सोमनाथ ज्योतिर्लिंग को पहले
ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा जाता है.
12 ज्योतिर्लिंग सुुुचीपत्र-12 jyotirling list
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर-somnath jyotirling mandir | गुजरात-gujarat |
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर-mallikarjun jyotirling mandir | आंध्र प्रदेश-andhra pradesh |
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर-mahakaleshwar jyotirling mandir | मध्य प्रदेश-madhay pradesh |
ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर - omkareshvar jyotirling mandir | मध्य प्रदेश-madhay pradesh |
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर-kedarnath jyotirling mandir | उत्तराखंड-uttarakhand |
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर-bhimashankar jyotirling mandir | महाराष्ट्र-maharashtra |
काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर-vishvanath jyotirling mandir | उत्तर प्रदेश-uttar pradesh |
त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर-trimbkeshwar jyotirling mandir | महाराष्ट्र-maharashtra |
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर-nageshwar jyotirling mandir | गुजरात-gujarat. |
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर - vaidhyanath jyotirling mandir | जारखंड - jharkhand |
रामेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर-rameshwar jyotirling mandir | तमिलनाडु-tamilanadu |
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर - ghrishneshwar jyotirling mandir | महाराष्ट्र - maharastra |
ईस 649 में वलभी के मैत्रक राजाओ ने सोमनाथ मंदिर(somnath mandir) को दूसरी
बार बनवाया.सोमनाथ मंदिर(somnath mandir) के अत्यंत वैभवशाली और समृद्ध होने
के कारण मुस्लिम हमलावरों,पोर्तुगीजों और दिञस्त्रो द्वारा कई बार लूटा गया.
सोमनाथ मंदिर(somnath mandir) को पहली बार ईस 725 में सिंध के मुसलमान
सूबेदार अल जुनैद द्वारा लूटा गया...उसने मंदिर के खजाने को लुटा और मंदिर को
भी बहुत नुकसान पहुंचाया.
8 वीं सदी में चालुक्य और प्रतिहार राजाओं ने तीसरी बार सोमनाथ मंदिर
(somnath mandir) का निर्माण करवाया. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर (somnath
jyotirling mandir) में एक टन से भी भारी सोने की घंटी लगवाई गई...जिसे भारी
सोने की छड़ी से खींचा जाता. सोमनाथ मंदिर(somnath mandir) में 1000 पंडितो
द्वारा हररोज मंत्रो का जाप होता. भगवान सोमनाथ के चरणों मे 500 से भी ज्यादा
नर्तकी अपना नृत्य करती. शंख की आवाज और कपूर की सुगंध से सोमनाथजी का
मंदिर(somnathji ka mandir) भक्तिभाव वाला रहता.
गजनवी के हमले के बाद ईस 1073 में जैन आचार्य हेमचंद्रचार्य और शैलगुरु
भावबृहस्पतिने मिलकर सोमनाथ मंदिर(somnath mandir) के जीर्णोद्धार का संकल्प
लिया. गुर्जर राजवी भीमदेव और मालवा के राजा भोज ने उनका समर्थन दिया. ईस
1168 में विजयेश्वर कुमारपाल और जूनागढ़ राजवी रा'खेंगार ने सोमनाथ
मंदिर(somnath mandir) का सौन्दरीकरण करवाया.
ईस 1300 में दिल्ली के सुल्तान अलाउदीन खिलजी के सेनापति नुसरत खां ने
सोमनाथ मंदिर(somnath mandir) पर हमला किया और उसने सोमनाथ मंदिर को तोड़ने
में कोई कसर नही छोड़ी. अलाउदीन खिलजी के हमले के बाद कई हिन्दू राजा और
प्रजा ने मिलकर सोमनाथ मंदिर(somnath mandir) का पुनःनिर्माण
करवाया...बनाने और मिटाने का यह खेल के सदियों तक चलता रहा.

ईस 1345 में महमूद तुगलग ने और ईस 1355 में गुजरात के सुल्तान मुज्जफर
शाह ने सोमनाथ मंदिर(somnath mandir) को लूटा. फिर ईस 1490 में महमद
बेगड़ा ने अपने 5000 सिपाहियो के साथ मिलकर सोमनाथ मंदिर(somnath mandir)
पर हमला कर दिया.तब सोमनाथ महादेव मंदिर(somnath mahadev mandir) की
रक्षा के लिए वेगड़ा भील, उनके जमाई हमीरजी गोहिल और उनके कुछ साथियों ने
अपने जान की बाजी लगा दी. सब लोग मंदिर की रक्षा के लिए वीरगति को
प्राप्त हुए... हमीरजी गोहिल का सर कट गया पर धड़ दुश्मनो से लड़ता रहा.आज
भी सोमनाथ मंदिर (somnath mandir) के पास वीर हमीरजी गोहिल की समाधि
मौजूद है.
सोमनाथ मंदिर(somnath mandir) पर आखरी हमला क्रूर शासक औरंगजेब
ने ईस 1706 में किया था.
मुस्लिम हमलावरों ने ही नही, पोर्तुगीजों और दिञस्त्रो ने भी
नावसेना से सोमनाथ मंदिर(somnath mandir) पर हमला किया था.
●आदि शंकराचार्य और स्वामी विवेकानंद जी ने भी सोमनाथ की
पवित्रभूमि की यात्रा की थी.
ईस 1783 में इंदौर की रानी अहिल्याबाई होलकर और ग्वालियर के श्रीमंत
पाटिलभुआ सिंदे ने मंदिर के अवशेषो के पास ही एक नया मंदिर बनवाया जो आज
भी अपनी पवित्रगाथा सुनाता खड़ा है. 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिली
13 नवम्बर 1947 को सरदार वल्लभभाई पटेल सोमनाथ आये...सरदार वल्लभभाई पटेल
ने महाराष्ट्र के काका साहेब गाडगिल की सलाह और जामनगर के राजवी
दिग्विजयसिंह के सहयोग से समुद्र का जल लेकर नए मंदिर के निर्माण का
संकल्प लिया. 11 मई 1951 को भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र
प्रसाद ने सोमनाथ मंदिर(somnath mandir) के गर्भगृह में प्राणप्रतिष्ठा
की... और दिसम्बर 1955 में सोमनाथ मंदिर (somnath mandir) राष्ट्र को
समर्पित किया.


भारत के पहले गृह मंत्री एवं लौहपुरुष श्री सरदार वल्लभभाई पटेल, श्री कनैयालाल मुनशी, जामनगर के राजवी श्री दिग्विजयसिंह, श्री घेबरभाई और कई महा पुरुषों के
संकल्प का परिणाम है आज का परमदिव्य भव्यतिभव्य सोमनाथ मंदिर.(somnath
mandir.)
सोमनाथ मंदिर के बारे में कुछ रोचक तथ्य.Some intresting facts about somnath mandir
- ● सबसे पहले सोमनाथ मंदिर का निर्माण 3 करोड़ 14 लाख 25 हजार 103 साल पहले त्रेता युग मे सोम ने करवाया था.
- ● भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर में पहले शिवलिंग बिना किसी आधार हवा में जुलता था.
- ●सोमनाथ मंदिर(somnath mandir) के पास स्थित दिशा सूचक दंड के शिलालेख के अनुसार दक्षिण दिशा में अंटार्कटिका तक कोई थलमार्ग नही है...सिर्फ जल मार्ग ही है.
- ●महाकालेश्वर मंदिर(mahakaleshwar mandir) में लगे चांदी के देवद्वार सोमनाथ मंदिर(somnath mandir) के ही है जो महमूद गजनवी लूट कर अपने साथ ले गया था.
- ●महमूद गजनवी को सोमनाथ मंदिर (somnath mandir) के बारे में बताने वाला अल बरुनी था...जो एक बार भारत की यात्रा पर आया था.
- ●महमूद गजनवी ने 30,000 घोड़े, 50,000 ऊंट और 84,000 सिपाहियों के साथ सोमनाथ मंदिर(somnath mandir) पर हमला किया था.
- ●महमद बेगड़ा ने जब सोमनाथ मंदिर (somnath mandir) पर हमला किया था तब 2000 किन्नरों ने और कुछ मुसलमानो ने भी अपनी जान दी थी.
- ● सोमनाथ मंदिर (somnath mandir) के चंदन के द्वार जो गायब है वो आज भी रहस्य बना हुआ है.
- ● सोमनाथ मंदिर पर कुल 17 बार हमला हुआ.
FAQs
Where is Somnath temple located?
- In the Veraval province of Gujarat
Who built the Somnath temple in 1951?
- Sardar Vallabhbhai Patel
When was the current Somnath temple built?
- On 13 May 1951 after independence.
- In the Veraval province of Gujarat
Who built the Somnath temple in 1951?
- Sardar Vallabhbhai Patel
When was the current Somnath temple built?
- On 13 May 1951 after independence.
सोमनाथ मंदीर मे धूमने लायक स्थल - Places to be visited in somnath temple:-







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