मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का इतिहास – Mallikarjun jyotirlinga history in hindi

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित एक हिन्दू मंदिर है. यहाँ भगवान शिव-पार्वती को मल्लिकार्जुन के रूप में पूजा जाता है…मल्लिका माता पार्वती का उपनाम है और अर्जुन अर्थात स्वयं भगवान शिव. यह भारत का एक मात्र ऐसा शिवलिंग है जहाँ भगवान शिव और माता पार्वती सम्मिलित रूप से बिराजमान है.
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग(mallikarjuna jyotirlinga) भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में दूसरे ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा जाता है. यह भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर है जिसे ज्योतिर्लिंग और शक्तिपीठ दोनों के रूप में पूजा जाता है.
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग – mallikarjun jyotirlinga
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का इतिहास – mallikarjuna jyotirlinga history
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग(mallikarjuna jyotirlinga) के निर्माण का वर्णन शिवपुराण के कोटिरुद्रसंहिता में मिलता है. इस ज्योतिर्लिंग का संबंध महादेव के बड़े बेटे कार्तिकेय जी से जुड़ा हुआ है. शिवपुराण के अनुसार प्रजापति विस्वरू श्री गणेशजी के साथ अपनी दोनों पुत्रियो के विवाह की कामना लेकर कैलाश पर्वत पहुचे. महादेव और माता पार्वती ने प्रजापती जी का प्रस्ताव स्वीकार किया. पर नियम के अनुसार बड़े भाई के पहले छोटे भाई का विवाह नही हो सकता…इसीलिए बड़े भाई कार्तिकेय कैलाश पर्वत छोड़ कर चले गए. क्योकि कार्तिकेय नही चाहते थे कि वह अपने छोटे भाई के किसी भी शुभ काम मे बाधा बने.
जब यह बात गणेशजी को पता चला तब उन्होंने भी विवाह करने के लिए एक शर्त रखी…शर्त के तहत गणेशजी भ तभी विवाह करेंगे जब उनके बड़े भाई कार्तिकेयजी भी विवाह में आएंगे. गणेशजी की शर्त के कारण भगवान शिव ने देवमुनि नारदजी को कार्तिकेय को मनाने भेजा.
नारदजी के बहुत समजाने पर भी कार्तिकेयजी नही माने…इसीलिए भगवान शिव और माता पार्वती स्वयं कार्तिकेयजी को मनाने पहुचे…भगवान शिव और माता पार्वती को भी उन्हें मनाने में बहुत समय लगा…पर आखिर में कार्तिकेयजी मान गए.
कौंज पर्वत पर बहुत समय व्यतीत करने के कारण भगवान शिव और माता पार्वती का मन वहाँ पर लग गया था. इसीलिए उन्होंने वहां रहने का निश्चय किया और ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान हो गये. मल्लिका माता पार्वती का उपनाम है और अर्जुन अर्थात स्वयं भगवान शिव. इसीलिए यह ज्योतिर्लिंग को मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (mallikarjuna jyotirlinga) कहा जाता है. यह भारत का एक मात्र ऐसा शिवलिंग है जहाँ भगवान शिव और माता पार्वती सम्मिलित रूप से बिराजमान है…और यह भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर है जिसे ज्योतिर्लिंग और शक्तिपीठ दोनों के रूप में पूजा जाता है. यहां पर भगवान शिव और माता पार्वती कैलाश छोड़कर बहुत समय यहां पर रहे थे इसीलिए श्री शैलम पर्वत को दक्षिण का कैलाश भी कहा जाता है.
वर्तमान मल्लिकार्जुन मंदिर का निर्माण – mallikarjuna jyotirlinga
वर्तमान मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर की खोज दूसरी शताब्दी में कि गई थी. इस मंदिर की खोज सत्वहना साम्राज्य के कुछ सबुत के आधार पर की गई थी.
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर का ज्यादातर निर्माण विजयनगर साम्राज्य के राजवी हरिहर महाराज ने करवाया था. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग श्री शैलम पर्वत पर स्थित है…और श्री शैलम पर्वत को दक्षिण का कैलाश भी माना जाता है. कई धर्मग्रंथों और शिवपुराण में इस मंदिर का धार्मिक महत्व विषतार से बताया गया है.
इस मंदिर के दर्शन मात्र से ही सभी पापो का नष्ट होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है…एक और मान्यता के अनुसार इस मंदिर में पूजा करने से अश्वमेधयज्ञ करने के समान पूण्य की प्राप्ति हो जाती है.
मल्लिकार्जुन मंदिर में पूजा का समय -Mallikarjun temple timings
मंगला वाध्यम | 4:30 A.M. TO 5:00 A.M A.M. |
सुप्रभातम | 5:00 A.M. से 5:15 A.M. |
प्रति:कला पूजा, गौ पूजा और महा मंगला आरती | 5:15 A.M. से 6:30 P.M. |
भक्तो द्वारा पूजा, अभिषेक और दर्शन | 6:30 A.M. TO 1:00 P.M. |
अलंकार दर्शन | 1:00 P.M से 3:30 P.M. |
मंगल वाध्य | 4:30 P.M. TO 4:50 P.M. |
प्रदोषकाल पूजा | 4:50 P.M से 5:20 P.M. |
सुसंध्यम और महा मंगला आरती | 5:20 P.M. TO 6:00 P.M. |
राजोपचार पूजा (भ्रामराम्बा देवी की) | 5:50 P.M. TO 6:20 P.M. |
भक्तो द्वारा पूजा और दर्शन | 6:20 P.M.TO 9:00 P.M. |
मंदिर हप्ते के सातों दिन खुला रहता है…मंदिर प्रातःकाल 5:00 बजे से रात्रि 10:00 बजे तक खुला रहता है. विशेष त्योहारों एवं विशेष दिवसों पर यह समय परिवर्तित भी हो सकता है.
FAQs
1. Where is Mallikarjuna Jyotirlinga temple located.
:- Mallikarjuna Jyotirlinga Temple is a Hindu temple located in Andhra Pradesh. This temple is on the Srisailam mountain in Krishna district in Andhra Pradesh.
2. Who built the present Mallikarjuna temple.
:- Most of the present Mallikarjuna Jyotirlinga temple was built by Rajavi Harihar Maharaj of Vijayanagara Empire.
3. Why is Shri Shail mountain called Kailash of the south.
:- Here Lord Shiva and Mother Parvati stayed here for a long time leaving Kailash, hence Shri Shailam mountain is called Kailash of South.
4.When was the present Mallikarjuna Jyotirlinga discovered?
:- The present Mallikarjuna Jyotirlinga temple was discovered in the second century. This temple was discovered on the basis of some evidence of the Kingdom of Satavahana.