trimbakeshwar temple history | त्रयम्बकेश्वर मंदिर का इतिहास
महाराष्ट्र के नाशिक जिले से करीब 35 किलोमीटर दूर स्थित है भारत की पवित्र एवं प्राचीन भूमि जो त्र्यम्बक के नाम से जानी जाती है…त्र्यम्बक में गौतमी नदी के तट पर स्थित त्रयम्बकेश्वर मंदिर-trimbakeshwar shiva temple हिन्दुओ के पवित्र और प्रसिद्ध तीर्थ स्थल मे से एक है.

भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर अपनी भव्यता के कारण हर वक्त सुर्खियों में रहता है. त्रयम्बकेश्वरज्योतिलिंग मंदिर-trimbakeshwar mandir भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है. जिसे अन्य ज्योतिर्लिंग की तरह पवित्र और वास्तविक माना जाता है. त्रयम्बकेश्वर मंदिर(trimbakeshwar mandir) में हिन्दुओ की वंशावली का पंजीकरण किया जाता है…इतना ही नही इस मंदिर के पंचकोशी में काल शर्प शांति, त्रिपिंडी विधि और नारायण नागवली विधि आदि भी कराई जाती है. जिसका आयोजन भक्तों द्वारा अपनी मनोकामना पूर्ण होने के बाद किया जाता है.
त्रयम्बकेश्वर मंदिर(trimbakeshwar temple) की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस मन्दिर में त्रिदेव स्वयं बिराजते है…यहां पर ब्रह्मा, विश्णु और शिव एक ही स्वरूप (लिंग स्वरूप) में बिराजते है. भगवान शिव के इस प्राचीन एवं पवित्र मंदिर से लाखों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है.
trimbakeshwar temple – trimbakeshwar jyotirling history – त्रयम्बकेश्वर मंदिर का इतिहास
गौतमी नदी के तट पर बसा यह मंदिर सिर्फ एक तीर्थस्थल ही है…नही ये तो हिन्दू धर्म की मान्यता का प्रतीक है.
त्रयम्बकेश्वर मंदिर-trimbakeshwar mandir की स्थापना का वर्णन शिव पुराण में मिलता है. शिवपुराण के अनुसार ये कथा सिर्फ महादेव के ज्योतिर्लिंग की ही नही…माँ गंगा के धरती पर पुनःअवतार की भी है. त्रयम्बकेश्वर महादेव मंदिर महाराष्ट्र के नासिक जिले से 35 किलोमीटर दूर ब्रह्मगिरि पर्वत के पास स्थित है.
एक बार यहाँ काफी सालो तक वर्षा नही हुई थी…इसके कारण मनुष्य और प्राणी यहां से पलायन करने लगे थे. इस समस्या के छुटकारा पाने के लिए महाऋषि गौतम ने 6 महीनों तक यहाँ तपस्या की थी.
महाऋषि गौतम की तपस्या से प्रसन्न होकर वरुण देव वहाँ आये. वरुण देव ने गौतम जी से वरदान मांगने को कहा तब गौतम जी ने उनको यह समस्या बताई…इस समस्या के निवारण के रूप में यहां पर एक खड़ा खोदने को कहा…और वरुण देव ने उस खड्डे को दिव्य जल से भर दिया. दिव्य जल के कारण वहां पर फिर से हरियाली छा गई और सभी मनुष्य, प्राणी एवं पक्षी वापस अपने स्थान पर आ गए. समस्या का हल करने के कारण महाऋषि गौतम की बड़ी प्रशंसा हुई.
एक रोज महाऋषि गौतम के कुछ शिष्य तालाब में जल भरने के लिए गए उसी समय अन्य ऋषिओ की पत्नी भी वहां पानी भरने के लिए आई. उनके बीच कुछ बात को लेकर काफी बहज हुई…बहज के दरमियान गुरुमाता अहिल्या भी वहां पर आई…और उन्होंने बहज को खत्म करते हुए अपने शिष्यो का पक्ष लिया.
इसी बात से नाराज हो कर अन्य ऋषियों की पत्नी ने यह बात को बढा चढ़ा कर अपने पति को कहि. इसी बात से नाराज ऋषियो ने महाऋषि गौतम से बदला लेने के लिए भगवान गणेश जी की पूजा आरम्भ की. गणेश जी के प्रगट होने पर उन ऋषियो ने गौतम ऋषि को अपमानित करने के लिये सहायता मांगी. गणेश जी को विवश होकर ऋषियो की बात मान नी पड़ी.
इस के कुछ दिनो के बाद गणेश जी ने दुर्बल गाय का रूप लेकर गौतम जी के धान के खेत मे आये और धान खाने लगे. दुर्बल गाय देखकर महाऋषि गौतम गाय को धान खिलाने के लिए गाय के पास गए पर धान का एक तिनका गाय को छुआ और गाय मर गई. अन्य ब्राह्मण वही पर छुपे हुए थे. गाय के मरते ही वह बाहर आये और महाऋषि गौतम पर गौ हत्या का इल्जाम लगाया और उनको धितत्कार ने लगे.
इसी अपमान से गौतम जी त्र्यम्बक से दूर आश्रम बनाकर रहने लगे. पर अन्य ब्राह्मण गौतम जी को वहाँ पर भी परेशान करते थे. तब गौतम जी ने गौ हत्या शुद्धि के लिए सबसे प्राथना की. उसके उपाय के रूप में अन्य ब्राह्मणों ने कहा अगर आप अपने पाप का स्वीकार करते हुए धरती की 3 बार परिक्रमा करे फिर यहाँ आकर 1 महीने के लिए व्रत करते है…बाद में ब्रह्मगिरि पर्वत-brahmagiri hills, की 100 बार परिक्रमा करे तो इस गौ हत्या से मुक्ति मिलेगी.
नही तो यहां पर गंगा जी को यहां लाकर उनके जल से स्नान करे और 1000 पार्थिव शिवलिंग- shivling बनाकर उनकी पूजा करे फिर से गंगाजी ने स्नान करो और ब्रह्मगिरि पर्वत- brahmagiri hills की 11 बार परिक्रमा करे फिर 100 पानी के घडो से पार्थिव शिवलींग- shivling को स्नान कराने से ही आपकी शुद्धि होगी. ब्राह्मणों ने जैसा कहा गौतम जी ने वैसा ही किया. उनकी यह पूजा से प्रशन्न होकर भगवान शिव प्रसन्न हुए…और उनसे वरदान मांगने को कहा. वरदान के रूप में गौतम जी ने गौ हत्या से मुक्ति मांगी.
तब भगवान शिव ने महाऋषि गौतम जी को सच्चाई बताई…और उनको दंडित करने को कहा. पर महाऋषि गौतम ने अन्य ऋषियो को माफ किया…और भगवान शिव से माँ गंगा को मांगा. तब शिवजी ने गंगाजी को धरती पर पुनःअवतरित होने को कहा…पर गंगाजी ने कहा अगर भगवान शिव अपने पूरे परिवार के साथ यहां पर रहे और अन्य देवता गण भी यहां रहे. गंगाजी की बात को सभी ने माना.
तब से माँ गंगा गोदावरी के रूप में यहां पर रहते है…तब से यहां पर ब्रह्मा, विष्णु और शिव लिंग स्वरूप में बिराजते है.
trimbakeshwar jyotirlinga temple का निर्माण
वर्तमान में त्रयम्बकेश्वर ज्योतिलिंग मंदिर – trimbakeshwar jyotirlingatemple का निर्माण मराठा साम्राज्य के तीसरे पेशवा बाजीराव नाना साहब ने करवाया था. इस मंदिर का निर्माण उन्होंने ब्रह्मगिरि पर्वत के काले पत्थरो से करवाया था.
उस वक्त त्रयम्बकेश्वर मंदिर-trimbakeshwar mandir के निर्माण में 16 लाख रुपये खर्च हुऐ थे. जो उस वक्त बहुत बड़ी रकम मानी जाती थी. इस मंदिर का जीर्णोद्धार साल 1755 में शुरू हुआ था और 31 साल के लंबे समय के बाद साल 1786 में पूर्ण हुआ था.
कुछ इतिहासकारों के अनुसार पेशवा नाना साहब ने इस मंदिर का निर्माण एक शर्त के फल स्वरूप बनाया था. शर्त के अनुसार ज्योतिर्लिंग में लगा पत्थर अंदर से खोखला है के नही…शर्त के हार ने पर उन्होंने यह मंदिर का निर्माण करवाया था.
त्रयम्बकेश्वर मंदिर से जुड़ी मान्यताओं और रहस्य – Beliefs and secrets related to Trimbakeshwar
• भगवान शिव के इस पवित्र मंदिर से जुड़ी प्रथम मान्यता ये है कि यहाँ पर सच्चे मन से मांगी सभी मनोकामना पूर्ण होती है…और पापों से मुक्ति मिलती है.
• त्रयम्बकेश्वर मंदिर(trimbakeshwar mandir) में हिन्दुओ की वंशावली का पंजीकरण किया जाता है.
• इस मंदिर के पंचकोशी में काल शर्प शांति, त्रिपिंडी विधि और नारायण नागवली विधि आदि भी कराई जाती है. जिसका आयोजन भक्तों द्वारा अपनी मनोकामना पूर्ण होने के बाद किया जाता है.
• पानी के बहाव के कारण यहाँ का जो पिंड है वो घटता जा रहा है…जो मानव समाज के विनाश को दर्शाता है.
•उज्जैन और ओम्कारेश्वर की तरह त्रयम्बकेश्वर-trimbakeswar महाराज को इस गांव का राजा माना जाता है. हर सोमवार को त्रयम्बकेश्वर(trimbakeswar) महाराज प्रजा के हाल चाल पूछने को बाहर आते है.
त्रयम्बकेश्वर मंदिर में पूजा का समय -trimbakeswar temple timings
मंगला आरती | 5:30 A.M. से 6:00 A.M. |
मंदिर के अंदर अभिषेक | 6:00 A.M. से 7:00 A.M. |
मंदिर के बाहर अभिषेक | 6:00 A.M. से 12:00 P.M |
महामृत्युंजय जाप, रुद्राभिषेक इत्यादि पूजा | 7:00 A.M. से 9:00 A.M. |
मध्यान पूजा | 1:00 P.M से 1:30 P.M |
संध्या पूजा | 7:00 P.M से 9:00 P.M |
भगवान शिव के स्वर्ण मुकुट के दर्शन | 4:00 P.M से 5:00 P.M (केवल सोमवार को) |
त्रयम्बकेश्वर मंदिर हप्ते के सातों दिन खुला रहता है. मंदिर में दर्शन करने का समय सुबह 5:00 बजे से रात्रि 9:00 बजे तक खुला रहता है…विशेष त्योहारों एवं विशेष दिवस पर यह समय परिवर्तित भी हो सकता है
FAQs
1. Where is Trimbakeshwar Temple located?
:- The Trimbakeshwar temple is located in the town of Trimbak, 35 km from Nashik district of Maharashtra.
2. Who built the present Trimbakeshwar temple?
:- The present Trimbakeshwar temple was built by Nana Saheb, the third Peshwa of the Maratha Empire, under a condition.
3. When was the present Trimbakeshwar temple renovated?
:- The renovation of the Trimbakeshwar temple began in the year 1755 and was completed in the year 1786 after a long time in 31 years.
4. Whom was the Trimbakeshwar temple built.?
:- The Trimbakeshwar temple was built with attractive black stones of Brahmagiri mountain.
5. How many Mukhi Gods are seen in the Trimbakeshwar temple?
:- The Trimbakeshwar temple has darshan of three Mukhi Gods … who lead Brahma, Vishnu and Shiva