द्वारिका नगरी का इतिहास -History of DWARIKA NAGRI
हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार द्वारिका नगरी का निर्माण भगवान विष्णु के सातवें अवतार श्री कृष्ण ने करवाया था. श्री कृष्ण का जन्म मथुरा की जेल में हुआ था…पर उनका बचपन गोकुल में महाराज नन्ददेव के यहां बीता.
मथुरा के राजा और श्री कृष्ण के मामा कंश को एक आकाशवाणी से पता चला था कि देवकी की आंठवी संतान उनका वध करेगी. इसी कारण कंश ने श्री कृष्ण के माता पिता को मथुरा के कारगृह में बंद कर दिया था.
बड़े होने पर श्री कृष्ण ने हत्याचारी मामा कंश को सबक सिखाने के लिए मथुरा आये. श्री कृष्ण ने अपने मामा कंश का वध करके उनके अत्याचारों के अंत किया था और वर्षो से बंदी अपने माता पिता को कारगृह से छुड़वाया था.
जरासंध ने मथुरा पर बार बार आक्रमण करके वहाँ की प्रजा को परेशान कर रहा था. जरासंध कंश का ससुर था और वह कंश के वध का बदला लेना चाहता था. उसने मथुरा पर 18 बार हमला किया था.
जरासंध के मथुरा पर बार बार आक्रमण के कारण मथुरा वासियो की रक्षा के लिए श्री कृष्ण सभी यादवो को लेकर द्वारिका आ गए…और एक नये नगर की स्थापना की.
कुछ दंतकथाओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि द्वारिका नगरी के निर्माण के लिए श्री कृष्ण ने जगह समुद्रदेव से मांगी थी. श्री कृष्ण ने नगर के निर्माण का कार्य देवताओ के आर्किटेक्ट विश्वकर्माजी को दिया था. विश्वकर्माजी ने एक ही रात में द्वारिका नगरी का निर्माण किया था.
गांधारी के श्राप के कारण नष्ट हो गई द्वारिका नगरी – City of Dwarka estroyed due to curse of Gandhari
- ● भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की एक खोज द्वारा यह भी माना जाता है कि यह मंदिर 2000 से 2200 साल पुराना है.
- ● 14वीं सताब्दी तक यह मंदिर के रक्षण का दायित्व राजपूतो का था.
- ● 15वीं सताब्दी में मुस्लिम हमलावर महमूद बेगड़ा ने द्वारकाधीश मंदिर पर हमला किया और यहां का खजाना लूटा.
- ● बाद में 18वीं सताब्दी में अंग्रेजों द्वारा किये गए हमलों में यह मंदिर को काफी हद तक नुकसान हुआ था.
- ● 19वीं सताब्दी में गोंडल के राजा सयाजीराव गायकवाड़ ने द्वारकाधीश मंदिर का पुन:निर्माण करवाया था.
द्वारकाधीश मंदिर को नागरा वास्तुकला के आधार पर बनवाया गया है. यह मंदिर का निर्माण चुना पत्थरों द्वारा किया है. यह पांच मंजिला द्वारकाधीश मंदिर आज भी भक्तो की आस्था का केन्द्र है.
द्वारकाधीश मंदिर की दीवारों पर देवी देवताओं और पशु पक्षियों की सुंदर कलाकृतियों के दर्शन होते है. द्वारकाधीश मंदिर में 60 स्तंभ है. मंदिर का शिखर 37.83 मीटर ऊंचा है.
द्वारकाधीश मंदिर में पूजा का समय – Timings of DWARKADHIDH Temple
मंदिर खुलने का समय और मंगला आरती | ● 6:30 A.M. |
श्रृंगार आरती | ● 10:30 A.M. |
मंदिर व्यस्था के कारण मंदिर बंद | ● 1:00 A.M. TO 5:00 P.M. |
संध्या आरती | ● 7:30 P.M. |
शयन आरती | ● 8:30 P.M. |
मंदिर बंद | ● 9:00 P.M. TO 6:30 A.M. |
विशेष त्योहारों एवं विशेष दिवस पर यह समय परिवर्तित भी हो सकता है. भगवान द्वारकाधीश को यहां के राजा माना जाता है. भगवान द्वारकाधीश को दिवस दरमियान 11 बाद भोग लगाया जाता है.
द्वारकाधीश मंदिर के आसपास गुमने लायक जगह – places to visit near dwarka temple
Nageshwar Jyotirlinga

Bet Dwarka

Rukmini Devi Temple
