Honesty Is The Best Policy In Hindi
‘Honesty is the best
policy’ meaning in
hindi
Honesty Is The Best Policy meaning ईमानदारी मानव का सर्वश्रेष्ठ गुण है. यह गुण हम सब में होना चाहिए.
यह गुण की वजह से हम अपना जीवन स्वाभिमान और आत्मसम्मान के साथ जी सकते है.
अगर हम ईमानदार है तो हमे सच बोलने की प्रेरणा मिलती है. अगर हम ईमानदारी से रहने का प्रयास करे तो कई गुण आपने आप ही हम मे आ जाएंगे.
ईमानदारी रिस्तो मे विश्वास का निर्माण करती है. ईमानदारी का अर्थ जीवन के सभी आयामों में सच्चा रहना है.
जो लोग सच बोलते है वह बेहतर रिश्ते और बेहतर संसार बनाने में सक्षम होते है. ईमानदारी एक अच्छी तरह से काम करने वाले रिश्ते की नींव है.
ईमानदार होना व्यक्ति के अच्छे और साफ चरित्र को प्रदर्शित करता है.
जीवन का वास्तविक सुख ईमानदार व्यक्ति को ही प्राप्त होता है और थी एक नग्न हकीकत है.
बेईमानी से आप थोड़े ही समय में बहुत सारा पैसा बना सकते है पर, जो सुख और चैन ईमानदार व्यक्ति के जीवन मे होता है. वह एक बेईमान व्यक्ति के जीवन में नही होता.
ईमानदारी के सहारे हम सच्चाई की राह पर चलते हुए जीवन में आने वाले संकटों का वीरता से सामना कर सकते है. इसीलिए कहा जाता है की, ” ईमानदारी सर्वश्रेष्ठ नीति है ” Honesty Is The Best Policy In Hindi
ईमानदारी की कहानी | story of honesty
हम सभी को पता है कि, लाल बहादुर शास्त्रीजी भारत के दुसरे प्रधानमंत्री थे. उसी समय की बात है जब लाल बहादुर शास्त्री भारत के प्रधान मंत्री के रूप मे सेवा कर रहे थे, तब एक बार शास्त्रीजी एक साड़ी की दुकान मे गए.
शास्त्रीजी ने दुकान के मालिक से अपनी पत्नी के लिए कुछ साड़ियाँ दिखाने का अनुरोध किया. मालिक ने उनको मिल की सबसे बेहतरीन साड़ियाँ दिखाईं.
शास्त्रीजी ने मिल के मालिक से जब साड़ियों की कीमत पूछी तो उन्हें वह साड़ियाँ बहुत ही महंगी लगी. इसलिए उन्होंने दूसरी सस्ती साड़ियाँ मांगी.
शास्त्रीजी के कहने पर मालिक ने उसे सस्ती साड़ियाँ दिखायीं. लेकिन, अबकी बार भी जो साड़ियाँ उनके सामने रखी गयी थी वे भी शास्त्रीजी को महँगी लग रही थी.
शास्त्रीजी ने मना कर दिया, और कहा, कुछ सस्ती वाली दिखाइए. अगर शास्त्रीजी चाहते तो वह साड़ी दुकानदार से उपहार के रूप में ले सकते थे पर उन्होंने ऐसा नहीं किया. जो देश के प्रति उनकी ईमानदारी को दर्शाता है.
दुकान के मालिक को आश्चर्य हुआ और उसने शास्त्रीजी को कहा कि उनकों इन साड़ियों की कीमतों के बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि वे भारत के प्रधान मंत्री हैं और उन्हें साड़ी उपहार के रूप में देना उनका सौभाग्य होगा.
इस पर शास्त्री जी ने उत्तर दिया कि वे इतना महंगा उपहार स्वीकार नहीं कर सकते और वे केवल एक साड़ी लेंगे जो वे खरीद सकते है.