
जीवन परिचय जयशंकर प्रसाद – Biography Jaishankar Prasad
महाकवि जयशंकर प्रसाद Mahakavi jaishankar prasad आज किसी पहेचान का मोहताज नहीं है. जिसने भी 12वी कक्षा तक पढ़ाई की है, उनमें से शायद ही कोई ऐसा विद्याथी होगा जिसने अपनी पुस्तकों में जयशंकर प्रसाद का नाम नही देखा हो. हिन्दी साहित्य में जयशंकर प्रसाद का नाम पांचवी कक्षा से लेकर ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन तक आता है.
जयशंकर प्रसाद ने हिन्दी साहित्य में कई रचनाएं लिखी है. उनकी रचनाएं ना केवल पढ़ने मे सरल और सुलभ होती है बल्कि हमे निरंतर ज्ञान और प्रेरणा भी देती है. जयशंकर प्रसाद कवि के साथ एक महान निबंधकार, उपन्यासकार और नात्यकार थे.
आधुनिक हिन्दी साहित्य में उनका योगदान कभी ना भूलने वाला है. उनकी लिखी कविताएं, निबंध और नाटक आज भी कई बच्चो और विद्याथिओ को प्रेरणा और जीवन में कुछ करने का मोटिवेशन देते है. कवि के रूप में जयशंकर प्रसाद कवि निराला, पन्त और महादेवी के साथ छायावाद के प्रमुख स्तम्भ के रूप में प्रतिष्ठित हुए है.
कई लोगो के मन में यह प्रश्न होता है की, jayshankar Prasad ka janm kab hua tha, jayshankar Prasad ka jivan Parichay और jayshankar Prasad ki rachna क्या है. आज हम आपको अपने लेख में jayshankar Prasad ka jivan Parichay जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय के बारे में विस्तार पूर्वक बताएंगे….
जानिए महाकवि जयशंकर प्रसाद की रचनाएं jaishankar prasad ki rachnaen
नाम | जयशंकर प्रसाद |
जन्म | 1890 ईस्वी में |
जन्म स्थान | उत्तर प्रदेश राज्य के काशी में |
मृत्यु | 15 नवंबर, 1937 ईस्वी में |
मृत्यु स्थान | |
पिता का नाम | श्री बाबू देवी प्रसाद |
माता का नाम | |
शैक्षणिक योग्यता | अंग्रेजी, फारसी, उर्दू, हिंदी व संस्कृत का स्वाध्याय |
रुचि | साहित्य के प्रति, काव्य रचना, नाटक लेखन |
लेखन | काव्य, कहानी, उपन्यास, नाटक, निबंध |
शैली | विचारात्मक, अनुसंधानात्मक, इतिवृत्तात्मक, भावात्मक एवं चित्रात्मक. |
• साहित्य में पहचान छायावादी काव्यधारा के प्रवर्तक भाषा भावपूर्ण एवं विचारात्मक.
• जयशंकर प्रसाद जी को हिंदी साहित्य में नाटक को नई दिशा देने के कारण ‘प्रसाद युग’ का निर्माणकर्ता तथा छायावाद का प्रवर्तक कहा गया है.
जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय – jayshankar Prasad ka jivan Parichay
सर्वविद्या और बुद्धिचातुर्य के धनी जयशंकर प्रसाद का जन्म ईस 1890 में उतर प्रदेश राज्य के काशी शहर में हुआ था. जयशंकर प्रसाद का जन्म काशी के एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था. जयशंकर प्रसाद के पिता श्री बाबू देवी प्रसाद भी उनके समय के एक महान नात्यकार और निबंधकार थे. काशी में श्री देवी प्रसाद नाट्य के कलाकारो का आदर करने के लिए जाने जाते थे.
काशी की जनता श्री बाबू देवी प्रसाद का कितना सम्मान करते थे आप यह बात से अनुमान लगा सकते है की, काशी के लोग काशी के राजा के बाद ‘हर हर महादेव’ के नाम से श्री देवी प्रसाद का स्वागत करते है.
बचपन से ही जयशंकर प्रसाद jaishankar prasad के सर पर से उनकी माता और बड़े भाई का साया उठ गया था. एक प्रतिष्ठित परिवार में जन्मे होने के बाद भी जयशंकर प्रसाद को कई मुसीबतों का सामना करना पड़ा था. परंतु जयशंकर प्रसाद के पिता विद्यानुरागी थे इसीलिए उन्हें बचपन से ही हिन्दी साहित्य में बहुत ज्यादा रुचि थी.
उनके घर के वातावरण के कारण जयशंकर प्रसाद का साहित्य और कला के प्रति उनमें प्रारंभ से ही रुचि थी. ऐसा माना जाता है कि जयशंकर प्रसाद 9 वर्ष की कम आयु में ही ‘कलाधर’ के नाम से व्रजभाषा में एक सवैया लिखकर उनके गुरु ‘रसमय सिद्ध’ को दिखाया था.
बचपन से ही जयशंकर प्रसाद ने वेद, इतिहास, पुराण तथा साहित्य शास्त्र का अत्यंत गंभीर अध्ययन किया था. यह बहुत की कम लोग जानते है की, जयशंकर प्रसाद बाग-बगीचे तथा भोजन बनाने के शौकीन थे और शतरंज खेलने में भी रुचि रखते थे. वे नियमित व्यायाम करनेवाले, सात्विक खान पान एवं गंभीर प्रकृति के व्यक्ति थे.
जयशंकर प्रसाद की रचनाएं – jayshankar Prasad ki rachnaen
जयशंकर प्रसाद एक ऐसे प्रतिभा वाले व्यक्ति थे की jayshankar Prasad ka jivan Parichay ही उनकी रचनाओं से भरा हुआ है. उन्होंने ना केवल हिन्दी साहित्य में बल्कि संस्कृत साहित्य में भी अपना योगदान दिया था. जयशंकर प्रसाद के ज्यादातर रचनाएं भारत का इतिहास और संस्कृति को उजागर करने वाले थे.
झरना, लहर, आंसू, प्रेम पथिक, कामायनी, जनमेजय का नागयज्ञ राज्यश्री, विशाख और अजातशत्रु जैसी कई रचनाएं की है. जयशंकर प्रसाद ने प्रेम पथिक जैसे काव्य संग्रह, अग्निमित्र प्रायश्चित सज्जन जैसे नाटक संग्रह और इंद्रजाल जैसे कहानी संग्रह तथा ककाल …