
भारतीय इस्तिहास में जब कभी भी प्रसिद्ध योद्धाओं की बात होती है तो Tipu Sultan टीपू सुल्तान को याद करना तो बनता है. मैसूर का शेर के नाम से मशहूर टीपू सुल्तान को अंग्रेजो के सामने की हुई लड़ाइयों के लिए जाना जाता है. टीपू सुलतान कई लोग उनकी वीरता के कारण शेर-ए-मैसूर भी कहते है.
Tipu Sultan अपने पिता हैदर अली की मृत्यु के बाद मैसूर की गद्दी पर बैठे. Tipu Sultan के पिता हैदर अली भी एक क्रांतिकारी और पराकर्मी शासक थे. टीपू सुल्तान ने मराठों और हैदराबाद के नवाबों से कई बाद युद्ध किए थे. जिसमे कई बार टीपू सुल्तान ने नवाबों को हराया था.
बार बार टीपू सुल्तान से हारने के बाद बंगाल के नवाबों और मराठों ने Tipu Sultan को हारने के लिए अंग्रेजो से हाथ मिला दिया था. Tipu Sultan ने भी अपनी सूझबूझ का परिचय देते हुए अंग्रेजो से हाथ मिला दिया था. तो कई लोगो के मन में यह प्रश्न उठता है, जब टीपू सुल्तान ने अंग्रेजो से हाथ मिला दिया था फिर भी क्यों Tipu Sultan अंग्रेजो के हाथी मारा गया.
हम आशा करते है की, यह लेख में आपको अपने सारे प्रश्न के उतर मिल जायेंगे. History of tipu sultan, the sword of tipu sultan, Tipu Sultan fort जैसे कई विषयों पर विस्तार से नीचे लिखा हुआ है.
टीपू सुल्तान के जीवन का इतिहास – Tipu Sultan History In Hindi
पूरा नाम | सुल्तान सईद वाल्शारीफ़ |
फ़तह अली खान बहादुर | साहब टीपू |
उपनाम | ‘शेर-ए-मैसूर’ एवं ‘मैसूर का शेर’ |
प्रसिद्ध नाम | टीपू सुल्तान |
जन्म तिथि | 20 नवंबर 1750 |
जन्म स्थान | देवनहल्ली, आज के बेंगलौर में |
मृत्यु तिथि | 4 मई 1799 |
मृत्यु स्थान | श्रीरंगपट्टनम, आज के कर्नाटका में |
धर्म | इस्लाम |
शासक | मैसूर राज्य |
पिता का नाम | सुल्तान हैदर अली |
माता का नाम | फ़ातिमा फख्र-उन-निसा |
पत्नी का नाम | सिंध सुल्ताना |
मृत्यु कारण | अंग्रेजो के सामने विद्रोह में, युद्ध में गोली लगने के कारण |
Tipu Sultan का जन्म 20 नवंबर 1750 में देवनहल्ली (आज के कर्नाटका के बैंगलोर) में मैसूर के शासक सुल्तान हैदर अली के घर में हुआ था. Tipu Sultan के पिता हैदर अली भी एक क्रांतिकारी और पराकर्मी शासक थे. हैदर अली ने अपनी शक्ति का परिचय देते हुए पूरी जिंदगी मैसूर पर शासन किया.
हालाकि, हैदर अली खुद पढ़े लिखे नही थे फिर भी उन्होंने अपने बच्चो के खूब पढ़ाया, खास कर अपने बड़े बेटे टीपू सुल्तान को. आपको जानकर बड़ा ही आश्चर्य होगा कि मात्र बारह साल की आयु में फारसी, अरेबिक, कन्नड़ और हिंदी काफी आसानी से बोल सकते थे. हैदर अली के प्रमुख सेनापति हाक्मि फतह अली से तलवारबाजी, तीरंदाजी, घुड़सवारी और बंदूक चलाने की प्रशिक्षण लिया था.
राजा के घर में जन्म लेने के बाद भी उनका शुरूराती जीवन बहुत ही संघर्ष से भरा हुआ था. टीपू सुल्तान के जम के समय उनके पिता हैदराबाद के नवाबों से लड़ाई में व्यस्त थे. मात्र 15 वर्ष की आयु में साल 1766 में हुई ब्रिटिश के खिलाफ मैसूर की पहली लड़ाई में अपने पिता का साथ दिया.
टीपू सुल्तान Tipu Sultan का शासनकाल
टीपू सुल्तान का शासन काल हाथ की उंगलियों से गिन सके उतना छोटा रहा. Tipu Sultan की मृत्यु मात्र 49 साल की उम्र में 4 मई 1799 में हुई थी. हैदर अली की मृत्यु के बाद 22 दिसंबर 1782 में टीपू सुल्तान आधिकारिक तौर पर मैसूर के राजा बने. राजा बनते ही उन्होंने अपनी सेना का रुख दक्कन में मराठों और निजामो की तरफ किया.
Tipu Sultan ने केवल दो वर्षो के अंतराल में दक्कन को अपनी शक्ति से मैसूर के सामने जुका दिया था. बार बार टीपू सुल्तान से हारने के बाद बंगाल के नवाबों और मराठों ने Tipu Sultan को हारने के लिए अंग्रेजो से हाथ मिला दिया था. Tipu Sultan ने भी अपनी सूझबूझ का परिचय देते हुए अंग्रेजो से हाथ मिला दिया था.
एक राजा के रूप में, टीपू सुल्तान एक कुशल शासक साबित हुए. टीपू सुल्तान ने अपने पिता की अधूरे सपनों को पूरा करने में भी बहुत ही ध्यान दिया. परियोजनाओं जैसेकी, सड़कें, पुल, प्रजा के लिए मकान और बंदरगाह बनवाना आदि को पूरा किया.
Tipu Sultan को भारत का पहला मिसाइल मैन के रूप में भी देखा जाता है. युद्ध में राकेट के उपयोग में कई सारे सैन्य नये परिवर्तन किये थे. और साथ ही लोहे से निर्मित मैसूरियन रोकेट और मिसाइल का भी निर्माण किया था.
साल 1799 में ब्रिटिशो ने मैसूर की राजधानी श्रीरंगपट्टनम पर हमला किया और श्रीरंगपट्टनम पर कब्जा कर लिया. इस लड़ाई के दौरान अंग्रेजो की कंपनी ने टीपू सुल्तान की हत्या कर दी. इस तरह टीपू सुल्तान का शासनकाल समाप्त हो गया और टीपू अपने पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए, वीरगति को प्राप्त हो गए.
टीपू सुल्तान की तलवार – Tipu Sultan sword
Tipu Sultan को कई लोग एक क्रांतिकारी शासक से रूप में देखते है तो दूसरी तरफ उसके विपरित कुछ लोग अन्य इस्लामी शासकों की तरह देखते है. उसे एक धार्मिक कट्टरपंथी के नजरिए से भी देखा जाता है. उसका सबसे बड़ा प्रमाण Tipu Sultan sword टीपू सुल्तान की तलवार पर उर्दू में लिखे शब्द है.
Tipu Sultan sword पर उर्दू में लिखा है की, “हे मालिक मेरी सहायता कर ताकि मैं काफ़िरों का सफाया कर दूँ “
उर्दू में काफिर का मतलब गैर इस्लामिक अथवा दूसरे धर्म के लोग भी होता है. इसीलिए Tipu Sultan को एक धार्मिक कट्टरपंथी के रूप में देखा जाता है.
Tipu Sultan sword को हाल ही में 21 करोड़ की भारी नीलामी में बेचा गया है. Tipu Sultan sword की इतनी ज्यादा कीमत उसकी बनावट है. Tipu Sultan sword की मुठ शुद्ध सोने से बनी हुई है. और उसकी मुठ पर रत्नजड़ित एक बाग भी बना हुआ है.
Tipu Sultan FAQs
हजरत टीपू सुल्तान कोन है?

मसूर का सुल्तान
टीपू सुलतान की तलवार का वजन क्या है?
7 kg and 400 gms
टीपू सुलतान को क्या कहा जाता है?
‘शेर-ए-मैसूर’ एवं ‘मैसूर का शेर’
टीपू सुल्तान की तलवार में क्या लिखा है?
“हे मालिक मेरी सहायता कर ताकि मैं काफ़िरों का सफाया कर दूँ “
हैदर अली और टीपू सुल्तान कहा के शासक थे?
हैदर अली और टीपू सुल्तान मैसूर के शासक थे।