
Vyanjan in hindi – हिंदी व्यंजन
हिन्दी भाषा का मुख्य आधार हिंदी व्यंजन hindi vyanjan है. प्राणवायु के फेफड़ों में से उठ कर स्वरपेटी या मुख में कही अवरोध के कारण हिंदी व्यंजन Hindi vyanjan का उच्चारण संभव होता है. आसान शब्दो में समझे तो प्राणवायु के मुख में अवरोध के कारण ही व्यंजन उच्चारण होता है.
सामान्य रूप से जिन वर्णों के उच्चारण के लिए स्वरों को सहायता ली जाती है उसे व्यंजन कहा जाता है. आपने कभी गौर किया हो तो सभी वर्ण के उच्चारण में ‘अ’ लिपि छुपी होती है. उदाहरण से समझे तो र + अ = र, प + अ = प होता है.
हम आपको आश्वाशन देते है की इस लेख को ध्यान से और अंत तक पढ़ने के बाद आप यह अच्छी तरह से समझ पाएंगे की व्यंजन क्या है. (व्यंजन किसे कहते है vyanjan kise kahate hain)
व्यंजन की परिभाषा – Vyanjan Ki Paribhasha
• हिन्दी वर्णमाला hindi varmala में कुल ३३ व्यंजन होते है. सामान्य: व्यंजन का उच्चारण स्वतंत्र नही होता है. सामान्य रूप से जिन वर्णों के उच्चारण के लिए स्वरों को सहायता ली जाती है उसे व्यंजन कहा जाता है.
प्राणवायु के फेफड़ों में से उठ कर स्वरपेटी या मुख में कही अवरोध के कारण हिंदी व्यंजन का उच्चारण संभव होता है. इसीलिए vyanjan व्यंजन का उच्चारण स्वतंत्र नही होता.
व्यंजन के भेद – vyanjan ke kitne bhed hote hain
हिन्दी वर्णमाला में सामान्य रूप से व्यंजन के तीन भेद होते है.
१. स्पर्श
२. अंतस्थ
३. ऊष्म
स्पर्श व्यंजन – sparsh vyanjan
• स्पर्श व्यंजन उन्हे कहा जाता है, जिनके उच्चारण समय मुख के किसी दो भागो के टकराते हुए प्राणवायु पूरी तरह से रुक जाए. स्पर्श व्यंजन को वर्गीय व्यंजन भी कहा जाता है.
उदाहरण से सीखे तो…
° ब, प, भ, म और फ जैसे शब्दो के उच्चारण के लिए हमे दोनो होंठो को जोड़ना पड़ता है. इन्हे प-वर्ग के उच्चारण भी कहा जाता है.
° क, ख, ध, ड और ग जैसे शब्दो के लिए हमे गले में प्राणवायु के बहाव को रोककर उच्चारण करना पड़ता है. इन्हे क-वर्ग के उच्चारण भी कहा जाता है.
° त, थ, द, ध और न जैसे शब्दो के उच्चारण के लिए हमे अपनी जिह्वा को दांत पर स्पर्श करवाना होता है. इन्हे त-वर्ग के उच्चारण भी कहा जाता है.
° ट, ठ, ड, ढ और ण जैसे शब्दो के उच्चारण के लिए हमे जिह्वा की मुख के तल पर स्पर्श करवाना होता है. इन्हे ट-वर्ग के उच्चारण भी कहा जाता है.
अंतस्थ व्यंजन – Antahsth Vyanjan
• अंतस्थ व्यंजन को आसानी से समझना हो तो अभी आपने ऊपर देखा की स्पर्श व्यंजन को उच्चारित करने के लिए हमे मुख के दो भागो का इस्तेमाल करना पड़ता है. परंतु अंतस्थ व्यंजन के उच्चारण के लिए मुख के किसी भी भाग को दूसरे भाग से टकराना नही होता.
° य, र, ल एवं व वर्ण यानि की इन चारों वर्णों को अंतस्थ व्यंजन कहा जाता है. अंतस्थ व्यंजन को ‘अर्द्धस्वर’ भी कहा जाता है.
ऊष्म व्यंजन – ushma vyanjan
• मानव के मुख में घर्षण या रगड़ से उत्पन्न होने वाली ध्वनि को ऊष्म व्यंजन कहते है. ऊष्म व्यंजन के उच्चारण समय मुख में से एक विशिष्ट प्रकार की गर्म हवा निकलती है. यह वर्णों के उच्चारण समय प्राणवायु का दबाव प्रबल रहता है.
° हिंदी वर्णमाला में ऊष्म व्यंजन की संख्या चार है – श, ष, स और ह.
° अगर ऊष्म व्यंजन के वर्ण का उच्चारण सही तरीके से हो तो आपको गर्म हवा घर्षण के साथ महसूस होती है.
हिंदी व्यंजन का वर्गीकरण – Hindi Quotes And Hindi Grammar
• हिन्दी व्यंजन का वर्गीकरण अलग अलग आधारों पर किया जाता है. जैसे की, प्राणवायु के अटकने और ना अटकने पर और मुख के दो अलग भाग एक दूसरे से टकराने पर किया जाता है.
• हिन्दी वर्णमाला में व्यंजन को मुख्य पांच भाग में वर्गीकृत किया गया है.
° हिंदी व्यंजन (Hindi Vyanjan) का सामान्य वर्गीकरण.
° उच्चारण के आधार पर हिंदी व्यंजन (Hindi Vyanjan) का वर्गीकरण.
° उच्चारण स्थान के आधार पर हिंदी व्यंजन (Hindi Vyanjan) का वर्गीकरण.
° स्वर तन्त्रियों की स्थिति के आधार पर हिंदी व्यंजन (Hindi Vyanjan) का वर्गीकरण.
° प्राणवायु के आधार पर हिंदी व्यंजन (Hindi Vyanjan) का वर्गीकरण.
१. हिंदी व्यंजन (Hindi Vyanjan) का सामान्य वर्गीकरण.
• हिन्दी वर्णमाला में सामान्य रूप से व्यंजन के तीन भेद होते है.
१. स्पर्श
२. अंतस्थ
३. ऊष्म
जिसे हमने ऊपर विस्तार पूर्वक समझाया है.
° उच्चारण के आधार पर हिंदी व्यंजन (Hindi Vyanjan) का वर्गीकरण.
• हमारे फेफड़े और मुख में होने वाली प्राणवायु की अलग अलग स्थितियों को ध्यान में रखकर यह वर्गीकरण किया गया है. उच्चारण के आधार पर व्यंजन को मुख्य आठ भागो में बांटा गया है.
° स्पर्श व्यंजन :- स्पर्श व्यंजन की कुल २५ संख्या है.
° संघर्षी व्यंजन
° नासिक्य व्यंजन
° संघर्षहीन व्यंजन
° पास्चिक व्यंजन
° उत्क्षिप्त व्यंजन
° स्पर्श संघर्षी व्यंजन
° प्रक्पमित व्यंजन
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