
उधम सिंह का जीवन परिचय Sardar Udham Singh Biography, कौन थे, जाति, कहानी, मृत्यु कैसे हुई, शहीद दिवस, धर्म, परिवार
जलियांवाला हत्या कांड Jallianwala Bagh Massacre, यह भारतीय इतिहास का वो काला पन्ना है जिसने सब कुछ बदल कर रख दिया.
जलियांवाला बाग में जब हजारों की संख्या में भिड़ एक शांति पूर्ण सभा के लिए जमा हुई तब पंजाब के गवर्नर जनरल ओ डायर ने उन पर गोलियां चलवा दी.
निहत्थे लोगों, बच्चो, औरतों और बुजुर्गो को शिकार बनाने वाली यह घटना ने अंदर से पूरे देश को हिला दिया. लेकिन साल 1919 का था.
भारत पर अंग्रेजो का शासन था. जलियांवाला हत्या कांड पर कोई सुनवाई ना होने पर इसका बदला लेने भारत का शेर सरदार उधम सिंह Sardar Udham Singh जा पहुंचा इंग्लैंड.
इस हत्या कांड के करीब 20 साल बाद 1940 में जलियांवाला बाग में हुए नर संहार के लिए जिम्मेदार व्यक्ति को गोली मार कर सरदार उधम सिंह ने अपना बदला पूरा किया. आपने अभी तक यही पढ़ा होगा लेकिन, हम आपको बता दे की शहीद-ए-आजम सरदार उधम सिंह इंग्लेंड जनरल डायर को मारने कभी गए ही नही थे. उधम सिंह का निशाना तो कोई और ही था.
आज हम आपको अपने यह लेख में विस्तार पूर्वक बताएंगे की, क्या है सरदार उधम सिंह और जलियांवाला बाग कांड को पूरी कहानी. हम आशा करते है की, आप यह लेख पूरा पढ़ेंगे जिस मे आपको पता चलेगा कि क्या है, इस भारत माता के वीर सपूत सरदार उधम सिंह की जीवन गाथा ……
उधम सिंह का जीवन परिचय – Sardar Udham Singh Biography in Hindi
सरदार उधम सिंह Sardar Udham Singh के बारे में जानने से पहले हम यह जान ले की उस दिन जलियांवाला बाग में आखिर हुआ क्या था. 13 अप्रैल 1919 बैसाखी का दिन था. बैसाखी के दिन को मानने के लिए और कुछ स्वतंत्रता सेनानी ओ की गिरफ्तारी के विरोध के लिए एक सभा हुई. सभा शांति पूर्ण रूप से चल रही थी पर उस समय ब्रिटिश सरकार के एक ऑर्डर के तहत सभी प्रकार की सभाओं पर बैन लगा दिया गया.
इसी लिए जलियांवाला बाग में उस दिन ब्रिटिश सेना पहुंच गई. सेना का नेतृत्व कर रहे जनरल डायर ने बाग से बाहर निकलने वाले रास्तों पर अपने सिपाहियो को खड़ा कर दिया.
उसके बाद बिना कोई वार्निंग दिए जनरल डायर ने उस जमा भिड़ पर गोलियां चलवा दी. जलियांवाला बाग में अंदर जाने के लिए और बाहर आने के लिए वह सिर्फ एक ही रास्ता था.
भागने के सभी रास्ते बंद थे और बाहर जाने वाले रास्ते पर सिपाही तैनात थे. लोगो के बाहर जाने के सभी रास्ते बंद थे. जलियांवाला बाग के बीचों बीच एक कुआं था. लोगो ने अपनी जान बचाने के लिए उस कुएं में छलांग लगा दी. पर जनरल डायर को यह रास नहीं आया. अंग्रेजो ने कुएं में छलांग लगाये लोगो पर मारे हुए लोगो को लाशों को फेंक दिया. ताकि कुएं में दम घुटने से जिंदा लोगो की भी मौत हो जाए.
यह घटना में 1500 से ज्यादा लोगो की मौत हो गई थी और 1200 से भी ज्यादा लोग जख्मी हुए थे. जिंदा बचने वालो में एक 18 साल का अनाथ लड़का भी था. वो लड़का जो ब्रिटिश हुकूमत की जमीन हिलाने वाला था. वो लड़का जो अंग्रेजो के घर में घुसकर इस हत्या कांड का बदला लेने वाला था. उस लड़के का नाम था शहीद-ए-आज़म सरदार उधम सिंह.
आपको यह बता दे की, सरदार उधम सिंह ने जिस डायर की हत्या की थी वो पंजाब के लेफ्टीनेंट जनरल मिशेल ओ डायर था. मिशेल ओ डायर यह वही व्यक्ति था, जिसके इशारे पर जालियावाला हत्या कांड को जनरल डायर द्वारा अंजाम दिया गया था. जलियांवाला हत्या कांड को अंजाम देने वाले जनरल डायर की मौत तो साल 1927 में ही हो गई थी.
यह एक शर्म की बात है की, विक्की कौशल की फिल्म सरदार उधम की रिलीज के पहले भारत में बहुत से लोग इसे थे जिसे शहीद-ए-आज़म सरदार उधम सिंह के बारे में पता ही नही था.
उधम सिंह का पारिवारिक परिचय – Sardar Udham Singh Parivarik parichay
पूरा नाम | सरदार उधम सिंह Sardar Udham Singh |
उपनाम | शेर सिंह |
प्रसिद्ध नाम | शहीद-ए-आज़म सरदार उधम सिंह |
जन्म तिथि | 26 दिसंबर 1899 |
जन्म स्थान | पंजाब के संगरूर जिले के सुनाम गांव में |
मृत्यु तिथि | 31 जुलाई 1940 |
मृत्यु स्थान | पेंटोविले जेल, यूनाइटेड किंगडम |
माता का नाम | नरेन कौर |
पिता का नाम | नारायण कौर |
पेशा | क्रांतिकारी और शिक्षक |
राजनीतिक पार्टी | शहीद-ए-आज़म भगत सिंह की पार्टी ग़दर पार्टी और हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
उम्र | 40 वर्ष |
धर्म | सिख धर्म |
वैवाहिक स्थिति | पूरा जीवन अविवाहित |
उधम सिंह का शुरूराती जीवन परिचय – Sardar Udham Singh Jivan parichay
सरदार उधम सिंह का जन्म 26 दिसंबर 1899 को पंजाब के संगरूर जिले के सुनाम गांव में हुआ था. सरदार उधम सिंह Sardar Udham Singh के पैदा होने के मात्र 2 साल बाद साल 1901 में उनकी माता का देहांत हो गया था. और उनकी 8 साल की उमर में उन्होंने अपने पिता को भी को दिया था. उसके बाद उधम सिंह Sardar Udham Singh को और उनके बड़े भाई मुक्ता सिंह को अमृतसर के एक अनाथालय में डाल दिया गया.
यह बहुत ही कम लोगो को पता है की, सरदार उधम सिंह के बचपन का नाम शेर सिंह था. अनाथालय में शिक्षा के बाद उनको उधम सिंह नाम मिला. आगे चलकर हाई स्कूल की एक्जाम पास करने के बाद 1919 में उन्होंने उस अनाथालय को छोड़ दिया.
सरदार उधम सिंह Sardar Udham Singh बचपन से ही भगत सिंह को अपना हीरो मानते थे. इसीलिए उधम सिंह भी अनाथालय से निकलने के बाद आजादी की लड़ाई में जुट गए.
13 अप्रैल 1919 में बैसाखी के दिन जलियांवाला बाग में बुलाई गई सभा में सरदार उधम सिंह को सभाएं आए हुए लोगो को पानी पिलाने का काम दिया गया था. इसीलिए सरदार उधम सिंह ने वह हत्या कांड अपनी आंखो से देखा था.
जलियांवाला बाग में हुए हत्या कांड के समय उधम सिंह केवल 20 साल के थे. सरदार उधम सिंह ने मात्र 20 साल की उम्र में यह संकल्प लिया की जिस डायर ने मेरे देश के नागरिकों की बेदर्दी से हत्या की है उस डायर को में जीवित नहीं छोडूंगा. और यही मेरे जीवन का आखरी संकल्प है.
अपने संकल्प को पूरा करने के लिए साल 1924 में वे ग़दर पार्टी में सामिल हो गए और भगत सिंह के पथ चिह्न पर चलने लगे. अपने संकल्प को पूरा करने के लिए सरदार उधम सिंह ने एक अवैध हथियार भी खरीदा. अवैध हथियार रखने पर उन्हें 5 साल ही जैल भी हुई थी.
जेल से छूटने के बाद उधम सिंह फिर से अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ने लगे. उसके बाद साल 1934 में सरदार उधम सिंह इंग्लेंड चले गए. वहा उधम सिंह नाइट एल्डर स्ट्रीट पर एक घर में रहने लगे. जहा उन्होंने छह गोलियों वाली एक रिवाल्वर भी खरीदी. लंदन में रहते उधम सिंह के पास ऐसे कई मौके थे जिसमे वह डायर को आसानी से मर सकते थे.
परंतु उधम सिंह उसे सबके सामने मरना चाहते थे. वह मौका उधम सिंह को 21 साल बाद 13 मार्च 1940 में मिला. जब डायर लंदन के कैक्सटन हॉल में अपनी स्पीच देने पहुंचा था. सरदार उधम सिंह को पता चलते ही, वह अपनी रिवॉल्वर को एक किताब में छुपाकर उसी हॉल में ले गए और मौका मिलते ही सरदार उधम सिंह ने डायर को गोलियों से भून दिया.
सरदार उधम सिंह ने जनरल डायर पर कुल तीन गोलियां चलाई थी. जिसमे से दो उसके शरीर में ही रह गई और एक गोली उसके दिल को चीरती हुई उसके शरीर के आरपार निकल गई. और वही पर डायर की मौत हो गई. डायर की हत्या के बाद उधम सिंह वहा से भागने के बजाय वही पर खड़े रहे और अपने आप को पुलिस के हवाले कर दिया. क्योंकि, उधम सिंह सरदार भगत सिंह को अपना हीरो ही नही बल्कि गुरु भी मानते थे.
उधम सिंह का कोर्ट बयान – Udham Singh’s court
सरदार उधम सिंह Sardar Udham Singh ने कोर्ट में बयान देते हुए कहा था कि, “जनरल डायर की हत्या का उन्हे जरा सा भी अफसोस नहीं है, अफसोस है तो सिर्फ इस बात का की उस सभा में और भी कई ऐसे अंग्रेज अधिकारी थे जो उनकी गोलियों का शिकार नही बन सके.” साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि, ” मेरे माता पिता तो मेरे बचपन में ही मर गए थे, तो में भी जी कर क्या करता. “
31 जुलाई 1940 को सरदार उधम सिंह को पेंटोविले जेल, यूनाइटेड किंगडम में फांसी दे दी गई. बड़े अफसोस की बात है, गांधी और नेहरू ने उस वक्त यह घटना को शर्मशार कहा था आज भारत में गांधी जयंती और नहेरू जयंती मनाई जाती है पर भगत सिंह जयंती और उधम सिंह जयंती नही मनाई जाती.
साल 1970 में सरदार उधम सिंह Sardar Udham Singh की अस्थियों को भारत लाया गया था. जिसका एक हिस्सा पंजाब की सतलुज नदी में विसर्जित किया गया था और आधा हिस्सा उसी जलियांवाला बाग में रखा गया था. जो आज भी हमे वहा देखने को मिलता है.
भारतवर्ष ज्ञान की पूरी टीम शहीद-ए-आज़म सरदार उधम सिंह को उनकी यह वीरता के लिए शत शत नमन करती है.
उधम सिंह कौन थे ?
ये वाही व्यक्ति थे जिन्होंने जलियांवाला बाग़ हत्याकांड के आरोपी जनरल डायर को मारा था.
उधम सिंह का जन्म कब हुआ ?
26 दिसंबर 1899
उधम सिंह का मृत्यु कब हुआ ?
31 जुलाई 1940