Sidi saiyyed mosque ki history | Sidi Saiyyed ki Jali | सीदी सैयद की जाली
Sidi saiyyed mosque – सिदी सैय्यद मस्जिद

सिदी सैय्यद मस्जिद अहमदाबाद Sidi Saiyyed Mosque, Ahmedabad गुजरात, भारत में स्थित 16वीं शताब्दी की एक मस्जिद है। यह खिड़कियों पर पत्थर की जटिल नक्काशी के लिए जाना जाता है और यह शहर के सबसे प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षणों में से एक है।
गुजरात सल्तनत के शासनकाल के दौरान निर्मित, मस्जिद का निर्माण सिदी सैय्यद Sidi Saiyyed द्वारा किया गया था, जो एक गुलाम से कुलीन व्यक्ति था, जिसने सुल्तान अहमद शाह Sultan Ahmed Shah के अधीन एक दरबारी के रूप में कार्य किया था। मस्जिद को गुजरात की इस्लामी वास्तुकला के सबसे सुंदर उदाहरणों में से एक माना जाता है, और इसे गुजरात सल्तनत की अंतिम स्थापत्य विरासत कहा जाता है।
मस्जिद अपनी दस पत्थर की जालीदार खिड़कियों के लिए प्रसिद्ध है, जिन्हें “सिदी सैय्यद जाली” Sidi Saiyyed jali के रूप में जाना जाता है। इन जालियों को जटिल रूप से ज्यामितीय पैटर्न और पत्ते के साथ उकेरा गया है और इन्हें दुनिया में पत्थर की जाली के बेहतरीन उदाहरणों में से कुछ माना जाता है। पश्चिम की दीवार पर लगी जाली विशेष रूप से प्रसिद्ध है, और इसे मस्जिद की सबसे सुंदर नक्काशियों में से एक कहा जाता है।
मस्जिद में अनुष्ठान के लिए एक बड़े टैंक के साथ एक आंगन और प्रार्थना के लिए एक केंद्रीय मंच भी है। मस्जिद सभी धर्मों के आगंतुकों के लिए खुला है और एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है, जो घरेलू और विदेशी दोनों पर्यटकों को आकर्षित करता है। इसे 2017 में “अहमदाबाद के ऐतिहासिक शहर” के एक भाग के रूप में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में सूचीबद्ध किया गया था।
अंत में, सिदी सैय्यद मस्जिद Sidi Saiyyed Mosque एक प्रतिष्ठित वास्तुशिल्प खजाना और एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल है, जो अपनी अनूठी और जटिल पत्थर की जालीदार खिड़कियों के लिए जाना जाता है और गुजरात सल्तनत की अंतिम स्थापत्य विरासतों में से एक के रूप में इसका ऐतिहासिक महत्व है। यह अहमदाबाद में सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक महत्व भी रखता है।
Sidi Saiyyed ki Jali
जब कभी भी वर्ल्ड हेरिटेज सिटी world heritage city बात आती है तो अहमदाबाद के नाम सबसे पहले आता है। अहमदाबाद जिसकी स्थापना 26 फरवरी 1411 को हुई थी। जो एक ग़ैरहिन्दू शासक अहमद शाह ने की थी और इसी के नाम से अहमदाबाद के नाम रखा गया।
अहमदबाद में कई प्राचीन दरवाजे (gates),मस्जिदे (masjid) और बावड़ी (Bavdi) देखने को मिलती है। अहमदाबाद जो अपने प्राचीन विरासत की वजह से दुनिया भर में मशहूर है। इसी की वजह से 9 जुलाई 2017 को अहमदाबाद को वर्ल्ड हेरिटेज सिटी world heritage city में शामिल किया गया जिससे वो भारत का पहला वर्ल्ड हेरिटेज सिटी बना। उन्ही मेसे एक है अहमदाबाद में स्थित सीदीसैयद की जाली।

सीदी सैयद की जाली Sidi Saiyad ki jali जो गुजरात राज्य के अहमदाबाद शहर में स्थित एक मस्जिद के दीवार की जाली है। जो सीदी सैयद की मस्जिद के नाम से जानी जाती है।इसी लिए इस जाली को सीदी सैयद की जाली कहा जाता है। इस मस्जिद में ऐसी चार जालीयाँ है। यह मस्जिद अहमदाबाद में लाल दरवाजा के पास में है।
सीदी सैयद की जाली Sidi Saiyyed Jali का निर्माण ईस 1572 में सीदी सैयद ने करवाया था। सीदी सैयद ने यह जाली का निर्माण गुजरात के सुल्तान शाम-उद-दिन मुजफ्फर शाह के सरदार बिलाल खान के लिए करवाया था। सीदी सैयद ने जब यह जाली के निर्माण का काम शूरू किया तब सुल्तान मुज़फ्फर शाह की सल्तनत को चारों तरफ से खतरा था।
दिल्ली के सुल्तान अकबर sultan Akbar ने ईस 1587 में एक एक करके गुजरात के कई हिस्से जीत लिए तब सीदी सैयद Sidi Saiyad Jali को इसका निर्माण अधूरा छोड़ना पड़ा। सीदी सैयद की मृत्यु के बाद सीदी सैयद को उसने ही निर्माण करवाई हुई मस्जिद में दफनाया गया। तब से उस मस्जिद को सीदी सैयद मस्जिद के नाम से जाना जाता है।
सीदी सैयद की जाली Sidi Saiyyed ki Jali को एक ही पत्थर में से तरास कर बनाई गई और जिस पत्थर पर जाली को बनाया गया है वह पत्थर समय के साथ नष्ट होता है। इसके बावजूद आज भी सीदी सैयद की जाली वैसी की वैसी है। इस जाली पर नकसीकाम से एक खजूरी का जाड और कई वृक्ष की डालिया बनाई हुई है। यह जाली की ऊंचाई 7 फुट और पहोलाई 10 फुट है।
यह जाली के सन्मान में अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉरपोरेशन भेट में सीदी सैयद की जाली की छबि देते है। इतना ही नही पर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट ने अपने सिंबल में यह जाली को रखा है।
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