Vijay stambh in Hindi | विजय स्तंभ का इतिहास

चित्तौड़गढ़ के विजय स्तंभ की पूरी जानकारी हिंदी में – Vijay stambh in Hindi
Vijay stambh in Hindi, विजय स्तंभ के नाम से भारत में और विक्ट्री टॉवर Victory Tower के नाम से मशहूर चित्तौड़गढ़ का विजय स्तंभ राजस्थान के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है. मेवाड़ के महाराणाओ के शौर्य और पराक्रम का प्रतीक vijay stambh आज भी हमे राजस्थान के चित्तौड़गढ़ दुर्ग में देखने को मिलता है.
महाराणा कुम्भा ने मालवा और गुजरात के सुल्तान पर विजय की स्मृति चिन्ह के रूप में 37.16 मीटर ऊंचे इस भव्य स्तंभ का निर्माण साल 1440 ई में करवाया था. नौ मंजिला ऊंचा यह स्तंभ भगवान विष्णु को समर्पित है, जिसकी प्रत्येक मंजिल के सामने खुला हुआ छज्जा है.
अगर आप यह छुट्टियों में राजस्थान घूमने जाने का प्लान बना रहे है, तो आप अवश्य ही चित्तौड़गढ़ के यह स्तंभ को देखने जाना. अगर आप विजय स्तंभ के बारे में और भी जानना चाहते है तो यह लेख को पूरा पढ़े. हमने यह लेख में Chittorgadh Vijay stambh in Hindi और bhima koregaon Vijay stambh के बारे में विस्तित जानकारी दी है…..
Historic Vijay stambh in Hindi
Vijay stambh in Hindi अपने ऐतिहासिक महत्व और मूर्तिकला की सूक्ष्मता के लिए प्रमुख पर्यटक आकर्षण है. यह चित्तौड़गढ़ किले के परिसर में स्थित है और भगवान विष्णु को समर्पित है. Vijay stambh जिसका अर्थ विजय टॉवर या विजय का टॉवर होता है, जो चित्तौड़गढ़ में एक प्रमुख आकर्षण है.
Vijay stambh को साल 1440 ई में महाराणा कुंभा ने मालवा के सुल्तान महमूद शाह खिलजी और गुजरात के सुल्तान कुतुबुद्दीन शाह के साथ युद्ध में अपनी शानदार जीत के उपलक्ष्य में बनवाया था. यह टॉवर की ऊंचाई लगभग 122 फीट अर्थात 37.19 मीटर है और आधार पर 30 फीट का व्यास है. Vijay stambh की मंजिलों के बीच से एक सीढ़ी गुजरती है जो बारी-बारी से एक केंद्रीय दीवार से होकर गुजरती है और इसके चारों ओर एक गैलरी बनती है.
इस में नौ मंजिलें है और 157 सीढ़ियां है जो ऊपर तक जाती है. विजय स्तम्भ लाल बलुआ पत्थर और संगेमरमर से बना है. इस उत्कृष्ट स्मारक के निर्माण में दस वर्ष का समय लगा था. प्रत्येक मंजिल पर एक बालकनी है जो शहर और घाटी के अद्भुत दृश्य पेश करती है.
यह मीनार हिंदू मूर्तिकला का एक उत्कृष्ट नमूना है. Vijay stambh के बेसमेंट से शिखर तक की पूरी इमारत, सबसे विस्तृत अलंकरण और हिंदू पंथों से संबंधित आकृतियों से आच्छादित है, जिसका सावधानीपूर्वक नाम दिया गया है.
यह मीनार हिंदू देवी देवताओं की अति सुंदर मूर्तियां और महान महाकाव्यों – रामायण और महाभारत को दर्शाने वाले प्रसंगों का प्रतिनिधित्व करती है. इसकी बाहरी और भीतरी दीवारें पौराणिक चरित्रों और दृश्यों से सुशोभित है. ऊपर से विशाल भूमि के चारों ओर का दृश्य कई ऐतिहासिक घटनाओं का करामाती दृश्य अर्पित करती है. Vijay stambh मीनार की दीवारों पर कई ऐतिहासिक शिलालेख भी पाए जाते है.
कई लोगो का मानना है, चित्तौडग़ढ़ के राजा कट्टर हिन्दू थे पर यह बात सरासर गलत है. इसके विपरित उन्होंने धार्मिक बहुलवाद को बढ़ावा दिया. इसे इस तथ्य से समझा जा सकता है कि, यह मीनार की नौवीं मंजिल में जैन देवी पद्मावती की मूर्ति है.
विजय स्तम्भ का एक और दिलचस्प पहलू यह है कि यह इस मीनार के वास्तुकार जैता के अपने 3 बेटे – पोमा, पूजा और नापा के साथ प्रदर्शित करता है. लेफ्टिनेंट कर्नल टॉड और फर्ग्यूसन जैसे विभिन्न इतिहासकारों ने विजय स्तम्भ को दिल्ली में कुतुब मीनार और रोम में ट्रोजन के स्तंभ से बहुत बेहतर माना है. विजय स्तंभ देखे बिना चित्तौड़गढ़ की यात्रा अधूरी रहती है.