क्षमावीर क्षत्रियराज हिन्दू कुलभूषण चक्रवर्ती सम्राट पृथ्वीराज चौहान का इतिहास Prithviraj chauhan

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पृथ्वीराज चौहान Prithviraj chauhan  का जन्म 12/3/1220 गुजरात राज्य
के  पाटन में हुआ था उनके पिता का नाम सोमेश्वर चौहान था और उनकी माता का
नाम कर्पूर देवी था उनके भाई का नाम हरिराज था और छोटी बहन का नाम पृथा था.
पिता सोमेश्वर ने अपने पुत्र का भविष्य जानने के लिए उन्होंने राजपुरोहितो 
से निवेदन किया और पृथ्वीराज नामकरण भी राजपुरोहित द्वारा ही हुआ  जब
पृथ्वीराज चौहान 5 साल के थे तब पिता सोमेश्वर  अजमेर ( अजय मेरु)  गए.
इटली राज का अध्ययन सरस्वती कंठाभरण विद्यापीठ में हुआ और वह विद्यापीठ के आंगन
में पृथ्वीराज चौहान ने शस्त्र और युद्ध कला का ज्ञान प्राप्त किया.
चौहान वंश के काल में मुख्य 6 भाषाओं का प्रयोग होता था जिसमें संस्कृत भाषा
मुख्य थी मगर पृथ्वीराज चौहान उन छह भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया था कहा जाता
है. उसके अलावा इतिहास, चिकित्सा शास्त्र, चित्रकला, गणित और भी कई ज्ञान से
निपुण थे. पृथ्वीराज चौहान का महाकाव्य पृथ्वीराज रासो में लिखा हुआ है कि,
पृथ्वीराज चौहान शब्दभेदी बाण को चलाने के लिए भी सक्षम थे. तदुपरांत हाथी और
घोड़े के नियंत्रण विद्या में भी विचक्षण थे. एक बार पृथ्वी राज चौहान ने 
बिना किसी शस्त्र के एक शेर को मौत के घाट उतार दिया था. 

उनके दादाजी  यह सुनकर बहुत खुश हुए  पिता सोमेश्वर के निधन के पश्चात
पृथ्वीराज का राज्याभिषेक हुआ. जो शुभ मुहूर्त में ब्राह्मणों के साथ सामंतो के
जय नाद द्वारा राजधानी में हाथी पर बिराज होकर शोभायात्रा की गई. पृथ्वीराज चौहान
की 13 रानियां थी पहली जंभावती पडिहारी, दुशरी पंवारी इच्छनी, तीसरी 
दाहिया, चौथी जालंधरी, पांचवी गुजरी, छट्ठी बड गुजरी, सातवी यादवी 
पद्मावती, आंठवी यादवी शशिव्रता, नौंवी  कछवाही, दशवी पूडीरनी, ग्यारवी
शशिव्रता, बारवींइंद्रावती और तेरवी संयोगिता थी. यह 13 मैं से सबसे छोटी
संयोगिता थी. 
एक समय था जब पृथ्वीराज चौहान की यश गाथा चारों ओर फैल रही थी और राजा जयचंद
पृथ्वीराज चौहान की सफलता से खुश नहीं था. मगर उसकी बेटी संयोगिता पृथ्वीराज
चौहान से मन ही मन प्रेम करती थी. और पृथ्वीराज चौहान ने भी संयोगिता की सुंदरता
के चर्चे सुने थे. वे भी संयोगिता से प्रेम करता था मगर यह बात राजा जयचंद को पता
चली तो वह क्रोधित हो गया और उसने संयोगिता के लिए स्वयंवर रख लिया. 
मगर राजा जयचंद ने पृथ्वीराज चौहान को आमंत्रित नहीं दीया था. यह बात पृथ्वीराज
चौहान को पता चली और वह क्रोधित हो गया स्वयंवर के दिन पृथ्वीराज चौहान की
प्रतिमा स्थापित कर दी गई. स्वयंवर में उपस्थित संयोगिता हाथ में वरमाला लेकर सभी
राजा को देख रही थी…और उसने पृथ्वीराज चौहान की प्रतिमा को देखा संयोगिता
पृथ्वीराज चौहान की मूर्ति के समीप जाकर वरमाला मूर्ति के कंठ में पहना दी. उसी
क्षण पृथ्वीराज चौहान उपस्थित हुए और वे संयोगिता को लेकर प्रस्थान कर गए.
पृथ्वीराज चौहान का राज्य बहुत आगे बढ़ रहा था तभी उनके राज्य पर मोहम्मद
शहाबुद्दीन गोरी की नजर पड़ी और उसने कई बार आक्रमण किया अलग-अलग महाकाव्य में
युद्ध की संख्या अलग-अलग बताई हुई है पृथ्वीराज रासो के अनुसार पृथ्वीराज में
गोरी को तीन बार  हराया हुआ है. प्रबंध कोश के अनुसार पृथ्वीराज ने गोरी को
20 बार बंदी बनाया हुआ है और प्रबंध चिंतामणि ग्रंथ के अनुसार 23 बार लेकिन जो
सबसे ज्यादा सुनने में आता है. 
वह ये है कि, 17 बार पृथ्वीराज चौहान ने शहाबुद्दीन गोरी को पराजित किया और 18वीं
बार पृथ्वीराज चौहान पराजित  हुए पृथ्वीराज चौहान ने 17 बार शहाबुद्दीन गोरी
को मौत से बक्ष कर आजाद किया मगर जब पृथ्वीराज चौहान 18वीं बार पराजित हुए. तब
शाहबुद्दीन गोरी ने पृथ्वीराज को बंदी बना दिया उनके साथ उनके बचपन के परम मित्र
चंदबरदाई को भी बंदी बना लिया. पृथ्वीराज चौहान की वहां पर आंखें भी फोड़ दी गई
मगर उन्होंने हार नहीं मानी थी.

पृथ्वीराज चौहान शब्दभेदी बाण चलाने में निपुण थे. यह बात शाहबुद्दीन गोरी को पता
चली तो उन्होंने मंजूरी भी दे दी. पृथ्वीराज चौहान और चंदबरदाई ने गोरी को मारने
के लिए पूरी तैयारी कर ली थी. जहां कला का प्रदर्शन हो रहा था वहां पर गोरी मौजूद
था. 
तब चंदबरदाई ने एक पंक्ति कहीं जिसमें शाहबुद्दीन गोरी कहां पर मौजूद है. यह बात
उन तक पहुंची और जैसे ही गोरी कुछ बोले तभी पृथ्वीराज चौहान ने शब्दभेदी बाण
चलाया और गोरी को मार डाला और अपनी दुर्गति से बचने के लिए पृथ्वीराज चौहान
और   चंदबरदाई ने एक दूसरे को मार डाला.
  
पृथ्वीराज चौहान एक वीर योद्धा थे और उनके ऊपर भारत में एक फिल्म भी आने वाली है
जिनका का किरदार अक्षय कुमार निभाने वाले हैं.

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