पाटन : एक ऐतिहासिक नगरी अन्हिलपुर पाटन (history of patan in hindi)

पाटन : एक ऐतिहासिक नगरी अन्हिलपुर पाटन

पाटन गुजरात राज्य में स्थित एक ऐसी ऐतिहासिक नगरी है जिसमे आपको सभी धर्म के मंदिर,मस्जिद,जैन देरसर और दरगाह देखने को मिलते है। पाटन जो सस्वती नदी के तट पर बनी एक नगरी है। जो गुजरात के स्वर्णिम युग की याद दिलाता है।पाटन की स्थापना ईस 745 में हुई थी। पाटन की स्थापना वनराज चावड़ा ने अपने बचपन के दोस्त अन्हिल भरवाड़ के साथ मिलकर की थी। वनराज चावड़ा के पिता का नाम जयशिखरी था और माता का नाम रूपसुन्दरी था।
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जब कल्याण के राजा भुवड ने पंचासर पर हमला किया तब पंचासर के राजा जयसिखरी  की मुत्यु हो गई। तब वनराज अपनी माँ के पेट मे थे। तब उनकी माँ और मामा सुरपाल जंगल मे भाग गए। वनराज का जन्म वन में होने कारण उसका नाम वनराज रखा। माँ रूपसुन्दरी और मामा सुरपाल ने वनराज को बड़ा किया। धीरे धीरे करके वनराज और उसके बचपन के दोस्त अन्हील भरवाड़ ने एक सेना बनाई और अपने पिता के राज्य पंचसर को फिर से जीत लिया। वनराज चावड़ा ने अपने राज्य का नाम अपने दोस्त के नाम पर अन्हिलपुर पाटन रखा। जो अब अन्हिलपुर पाटन या अन्हिलवाड़ पाटन के नाम से जाना जाता है।
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वनराज चावड़ा ने ही गुजरात के राजपूतवंश का प्रारंभ किया था। वनराज चावड़ा के बाद पाटन की राजगद्दी पर कई महान राजा आये और पाटन को उसकी चरमसीमा पर ले गए। वनराज चावड़ा के बाद भीमदेव, कामदेव , करनदेव, कुमारपाल और सिद्धराज जयसिंह जैसे राजा ने पाटन का राजपाट संभाला। सिद्धराज जयसिंह के समय को गुजरात का स्वर्णिम युग मन जाता है। उनके समय मे पाटन की समृद्धि अपने चरम सीमा पर थी। मध्ययुग में गुजरात की राजधानी पाटन थी।
आज भी वनराज चावड़ा की मूर्ति मूल पाटन के पंचासर जैन देवालय में देखने को मिलती है। पाटन की समृद्धि और प्रसिद्धि प्राचीन ग्रंथो में वर्णित अक्षरों से मिलती है। इतिहासकार टेरियस चांड़लेरेस्टीमेटस के अनुसार ईस 1000 में 1000000 की संख्या के साथ विश्व के सबसे बड़े शहर में पाटन का दसवा नंबर था। जब मुईजुद्दीन घोरी ने गुजरात पर हमला किया तब पाटन के राजा मूलराज द्वितीय की सेना ने उनको इसा सबक सिखाया की उसने अपने जीवन काल मे कभी पाटन ओर दुबारा हमला नही किया।
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पाटन का पतन ईस 1200 से 1210 के बीच मे होना सुरु हुआ जब दिल्ली सुल्तान कुतुबुद्दीन ऐबक ने पहली बार पाटन पर हमला किया। जब ईस1298 में विदेसी हमलावर अलाउदीन खिलजी के हमला लिया तो पाटन की समृद्धि का सूर्य अस्त होने शूरू हो गया। इसके बाद सुल्तान अहमदशाह ने अहमदाबाद शहर बसाया और अहमदाबाद को गुजरात की नई राजधानी बनाई

पाटन की समृद्धि पर कन्हैयालाल माणेकलाल मुन्शी ने कई किताबें लिखी। जो कुछ इस प्रकार है पाटन नी प्रभुता,एक सोमनाथ,राजधिराज और गुजरात नो नाथ और भी बहुत कुछ पाटन में कई विद्वान कवि और जैन मुनि हुए। जिसमे कवि भालन और कवि जैन मुनि रामचन्द्र, हेमचंद्राचार्य है। हेमचंद्राचार्य ने पाटन के महान ग्रंथ मे से एक सिद्धहेम शब्दानुशासन लिखा है जो आज भी पाटन के पंचासर म्यूजियम में है। 

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