Rameshwar jyotirlinga temple History in Hindi

Rameshwaram shiv temple
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Introduction
● 12 ज्योतिर्लिंग सुुुचीपत्र – 12 Jyotirlinga Name and state
● रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग का इतिहास – Rameshwaram Jyotirlinga history 
● रामेश्वरम मंदिर का इतिहास – Rameshwaram  temple history
● रामेश्वरम ज्योतिलिंग मंदिर समय – Rameshwaram Jyotirlinga temple timings
● रामेश्वरम शिव मंदिर के बारे में कुछ रोचक तथ्य – Some interesting facts about Rameshwaram shiv temple
● रामेश्वरम मंदिर तक कैसे पहुंचे – how to reach Rameshwaram jyotirling temple
● रामेश्वरम मंदिर के आसपास घूमने के स्थल – Places to visit around  Rameshwaram Jyotirlinga temple

भारतीय पुराणों के अनुसार भगवान शिव ने लोककल्याण एवं प्रकृतिकल्याण हेतु भारत मे 12 जगहों पर स्वयंभू प्रगट हुए और लिंग रूप में बिराजमान रहे…उन 12 जगहों को ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा जाने लगा. उन 12 ज्योतिर्लिंगो में से एक रामेश्वर (rameshwar) भी है. रामेश्वर ज्योतिर्लिंग को 12 ज्योतिर्लिंगों में से ग्यारवें प्रमुख ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा जाता है.


12 ज्योतिर्लिंग सुुुचीपत्र-12 jyotirling list

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर-somnath jyotirling mandir गुजरात-gujarat
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर-mallikarjun jyotirling mandir आंध्र प्रदेश-andhra pradesh
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर-mahakaleshwar jyotirling mandir मध्य प्रदेश-madhay pradesh
ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर – omkareshvar jyotirling mandir मध्य प्रदेश-madhay pradesh
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर-kedarnath jyotirling mandir उत्तराखंड-uttarakhand
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर-bhimashankar jyotirling mandir महाराष्ट्र-maharashtra
काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर-vishvanath jyotirling mandir उत्तर प्रदेश-uttar pradesh
त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर-trimbkeshwar jyotirling mandir महाराष्ट्र-maharashtra
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर-nageshwar jyotirling mandir गुजरात-gujarat.
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर – vaidhyanath jyotirling mandir जारखंड – jharkhand
रामेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर-rameshwar jyotirling mandir तमिलनाडु-tamilanadu
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर – ghrishneshwar jyotirling mandir   महाराष्ट्र – maharastra
रामेश्वर ज्योतिर्लिंग (rameshwar jyotirling) दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य में रामेश्वरम नामक स्थान पर स्थित है. ऐसा माना जाता है रामेश्वर ज्योतिर्लिंग शिवलिंग की स्थापना भगवान विष्णु के सातवें अवतार प्रभु श्री राम ने की है. हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार यह मंदिर की यात्रा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है…और सात जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है.
रामेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर (rameshvaram jyotirlinga temple) को रामनाथ स्वामी मंदिर और रामेश्वरम द्वीप के नाम से भी जाना जाता है. इस मंदिर से लाखों – करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था जुड़ी हुई है. रामेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी दो कथा प्रचलित है. एक कथा रामायण (ramayana) में वर्णित है और दूसरी कथा शिवपुराण में वर्णित है.

रामेश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहास – Rameshwar jyotirlinga History

Rameshwaram shivlinga
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Rameshwar Jyotirlinga STORY :- 1

यह कथा शिवपुराण के कोटिरुद्रसंहिता में वर्णित है. शिवमहापुराण (shivapuran) के अनुसार विद्वानब्राह्मण एवं महाप्रतापी रावण माता सीता का अपहरण करके लंका ले गया था. माता सीता की खोज में निकले श्री राम अपनी वानर सेना सहित दक्षिण भारत के समुद्र तट तक पहुच गए. समुद्र तट पर पहुचने के बाद उन्होंने देखा कि लंका नगरी समुद्र तट के उस पार है. तब उनके सामने अपनी सेना सहित समुद्र को पार करने की विकट समस्या थी.

श्री राम भगवान शिव को अपना आराध्य देव मानते थे और उनकी हररोज नित्य पूजा किया करते थे. पर समुद्र को पार करने की चिंता में श्री राम पूजा करना भूल गए. तब उनको अचानक ही प्यास लगने लगी और उन्होंने अपने सेवक को पानी लाने के लिए कहा. अपने सेवक द्वारा पानी लाने पर उनको अचानक ही स्मरण हुआ कि आज उन्होंने अपने आराध्य की पूजा नही की.
Rameshwaram in ram shiv temple
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तब श्री राम ने अपने हाथों से भगवान शिव का पार्थिव शिवलिंग बनाया और पूजा करने लगे. प्रभु श्री राम पता था कि रावण भी भगवान शिव का परम भक्त और माहापराक्रमी है. तब श्री राम ने पूजा करते हुऐ भगवान शिव का स्मरण किया. भगवान शिव वहां प्रगट हुए और श्री राम को वरदान मांगने को कहा. श्री राम ने वरदान के रूप में अपनी विजय मांगी और जनकल्याण के लिए सदा वहां रहने कर आग्रह किया.
कल्याणकारी शिव ने आशीर्वाद देते हुए प्रकृतिकल्याण हेतु उस पार्थिव शिवलिंग में बिराजमान हो गए. श्री राम द्वारा निर्मित शिवलिंग को रामेश्वर के नाम से जाना जाने लगा.

Rameshwar Jyotirlinga STORY :- 2

यह कथा प्रभु श्री राम की लंका वापसी से जुड़ी हुई है और इसका वर्णन रामायण में मिलता है. रामायण (ramayana) के अनुसार प्रभु श्री राम जब अपनी धर्म पत्नी सीता माता को रावण का वध करके वापस लाये तो उन पर ब्राह्मण हत्या का पाप लगा था…क्योकि राक्षस राज रावण एक ब्राह्मण पुत्र था. इस पाप से मुक्त होने के लिए ब्राह्मणों ने श्री राम को अपने आराध्य भगवान शिव की पूजा करने की सलाह दी.
पर वहां कोई शिव मंदिर नही था जहाँ जाकर श्री राम अपने आराध्य की पूजा कर सके…तब श्री राम ने वहां एक शिवलिंग की स्थापना करने का निश्चय किया. इसलिए उन्होंने अपने विश्वाशु एवं परम भक्त पवनपुत्र हनुमान को अपने आराध्य की मूर्ति लाने कैलाश पर्वत भेजा. पर किसी कारण वश हनुमानजी को वापस आने में देर हो गई.
जिसके बाद माता सीता ने समुद्र किनारे पड़ी रेत से शिवलिंग का निर्माण किया. श्री राम ने ब्राह्मण हत्या के पाप से मुक्त होने के लिए बड़े भक्तिभाव और पूरी श्रद्धा से उस शिवलिंग की पूजा की. उसके बाद उसी जगह पर हनुमानजी द्वारा लाये शिवलिंग की स्थापना भी श्री राम ने की. 
श्री राम द्वारा स्थापित किये जाने के कारण यह शिवलिंग रामेश्वर के नाम से प्रसिद्ध हुआ. माता सीता द्वारा स्थापित शिवलिंग और हनुमानजी द्वारा कैलाश से लगे गए दो शिवलिंग आज भी रामेश्वर मंदिर में स्थापित है. यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों मंदिर (12 jyotirlinga temple) में से एक है. जहाँ हर साल लाखों की तादात में श्रद्धालु आते है. 

रामेश्वर मंदिर का इतिहास – Rameshwar temple History

ऐसा माना जाता है कि 10वीं शताब्दी तक रामेश्वर मंदिर (rameshwaram temple)एक छोटे नक्काशीदार मंदिर के रूप में था…जिसका निर्माण एक संत द्वारा किया गया था. यह मंदीर का विकास 12वीं सदी से 16वीं सदी के बीच हुआ है. 
रामेश्वर मंदिर का निर्माण चोला राजा ने 11वीं सदी में करवाया था. यह मंदिर तीसरे गलियारे के पश्चिम में आज भी मौजूद है. 12वीं सदी के अंत मे श्रीलंका के राजा पराक्रमी बाहु ने रामेश्वर मंदिर का पहला गलियारा बनवाया था. ईस 1404 में विजयनगर के वंशजो ने मंदिर के दूसरे गलियारे का निर्माण शुरू करवाया था पर वह काम किसी कारण वश पूरा नही हुआ था. जो बाद में 16वीं सदी में तिरुमलाई हूपु के हाथों पूरा हुआ.


17वीं सदी में रघुनाथ किलावन और राजा किजहावन सेठुपति ने चार धामों में से एक रामेश्वरम मंदिर (rameshwaram temple) का निर्माण करवाया गया. रामेश्वर मंदिर का गलियारा विश्व का सबसे लंबा गलियारा माना जाता है. 
रामेश्वर मदिर (rameshwar temple) का निर्माण द्रविड़ स्थापत्य शैली में किया गया है. रामेश्वर मंदिर (rameshwar temple) की लंबाई 1000 फुट और चौड़ाई 650 फुट है. मंदिर का प्रवेश द्वार 40 मीटर ऊंचा है. इस मंदिर में सुंदर नक्काशी वाले कई खंभे लगवाए गए है.

रामेश्वरम मंदिर में पूजा का समय –
rameshwaram temple
timings

रामेश्वर मंदिर प्रातःकाल 5 बजे खुल जाता है. मंदिर में सुबह पांच बजे से लेकर दोपहर एक बजे तक श्रध्दालुओ के लिए खुला रहता है…बाद में तीन बजे मंदिर श्रध्दालुओ के लिए खोल जाता है. जो रात्रि नो बजे तक खुला रहता है.
रामेश्वर मंदीर में दिन के दौरान की जाने वाली प्रत्येक पूजा का अलग-अलग नाम है…जो अलग-अलग समय पर की जाती है.
मंदिर खुलने का समय और पल्लीयाराई दीप आराधना 5:00 A.M.
स्पादिगलिंगा दीप आराधना 5:10 A.M.
थिरुवनन्थाल दीप आराधना 5:45 A.M.
विला पूजा 7:00 A.M.
कालासन्थी पूजा 10:00 A.M.
उचिकला पूजा 12:00 P.M.
मंदिर व्यवस्था के कारण दर्शन बंद 1:00 P.M. TO 3:00 P.M.
सयारात्चा पूजा 6:00 P.M.
अर्थजामा पूजा 8:30 P.M.
पल्लियाराई पूजा 8:45 P.M.
मंदिर बंद 9:00 P.M. TO 5:00 A.M.

रामेश्वर मंदिर के बारे में कुछ रोचक तथ्य – Some interesting facts about rameshwar temple

● ऐसा माना जाता है कि रामेश्वर मंदिर के निर्माण कार्य के लिए पत्थरों को श्रीलंका से नावों द्वारा लाया गया था.
● रामेश्वर मंदिर का गलियारा विश्व का सबसे लंबा गलियारा माना जाता है. जो उत्तर – दक्षिण में 197 मीटर और पूर्व – पश्चिम में 133 मीटर लंबा है. मंदिर के प्रवेश द्वार को गोपुरम कहा जाता है. जो 38.4 मीटर लंबा है.
● रामेश्वर के बारे में ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त शिवलिंग पर पूरी श्रध्दा से गंगा जल चढ़ाता है. उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है.

● प्रभु श्री राम को रामेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा करने के बाद ही ब्राह्मण हत्या के पाप से मुक्ति मिली थी…इसीलिए मान्यता है कि जो भी व्यक्ति यहां पूरी श्रद्धा से पूजा करता है उसे भी ब्राह्मण हत्या के पाप से मुक्ति मिलती है.
● रामेश्वर मंदिर के पहले और मुख्य तीर्थ को अग्नि तीर्थ नाम से जाना जाता है…हालांकि रामेश्वर मंदीर के अंदर 22 तीर्थ मौजूद है.

रामेश्वर मंदिर तक कैसे पहुचे – How to reach rameshwar temple

रामेश्वर मंदिर तक सीधे पहुचने के लिए केवल थलमार्ग ही है. रेलमार्ग और वायुमार्ग से रामेश्वर मंदिर तक कोई सीधा मार्ग नही है.

rameshwar Jyotirling Temple by  car

थलमार्ग :- थलमार्ग द्वारा आप रामेश्वर मंदिर भारत के किसी भी शहर से पहुच सकते है. अगर आप थलमार्ग द्वारा रामेश्वर मंदिर जाना चाहते है तो मदुरै, चेन्नई, कन्याकुमारी और त्रिची के रास्ते से जा सकते है. मदुरै, चेन्नई, कन्याकुमारी और त्रिची भारत के सभी बड़े शहरों से राजमार्गों द्वारा जुड़े हुए है. इसके अलावा पॉन्डिचेरी और तंजावुर से मदुरै होते हुए रामेश्वरम जा सकते है.

rameshwaram Jyotirling Temple by train

रेलमार्ग :- आप रामेश्वर मंदिर रेलमार्ग द्वारा जाना चाहते है तो निकटतम रेलवेस्टेशन मदुरै जंक्शन और चैन्नई  है. मदुरै रेलवेस्टेशन भारत के बड़े शहरों से प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रेलमार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है. मदुरै पहुचने के बाद आप किराये पर Taxi या बस बुक कर सकते है.

rameshwar Jyotirling Temple by Airplane

वायुमार्ग :- आप रामेश्वर मंदिर वायुमार्ग द्वारा जाना चाहते है तो निकटतम एयरपोर्ट मदुरै में  है. मदुरै एयरपोर्ट से रामेश्वरम मंदिर 163 किलोमीटर दूर है. एयरपोर्ट पहुचने के बाद आप किराये पर Taxi या बस बुक कर सकते है.


रामेश्वर मंदिर के आसपास घूमने से स्थल – Places to visit around rameshwar
Temple



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