‘ब्रिटिश ईस्टइंडिया कंपनी’ आई तो थी भारत मे व्यापार करने के लिए पर, देखते ही
देखते उसने भारत का ही व्यापार करना शुरू कर दिया. सन 1700 तक पूरे भारत पर उसका
कब्जा हो गया था.
देखते उसने भारत का ही व्यापार करना शुरू कर दिया. सन 1700 तक पूरे भारत पर उसका
कब्जा हो गया था.
अब जरूरत थी तो एक क्रांतिकारी चिंगारी की, जो ईस्टइंडिया कंपनी की नींव को
हिलाकर रख दे. मंगल पांडेय ‘भारतीय स्वाधिनता संग्राम’ का पहला शहिद जिसने 19वीं
सदी में अंग्रेजों को छट्ठी का दूध याद दिला दिया था.
हिलाकर रख दे. मंगल पांडेय ‘भारतीय स्वाधिनता संग्राम’ का पहला शहिद जिसने 19वीं
सदी में अंग्रेजों को छट्ठी का दूध याद दिला दिया था.
जागे नगर सारे, जागे है घर सारे, और जागा है, अब सारा गाँव….. जागे है बगिया
और जागे है पेड़ सारे, और जागी है पेड़ों की छाँव……
मंगल…..मंगल…..मंगल….. मंगल…..मंगल…..मंगल……हो…..
मंगल पांडेय की जीवनी – Mangal pandey biography
मंगल पांडेय का जन्म 19 जुलाई 1827 को ब्रिटशभारत में उत्तर प्रदेश के नगवा नामक
गाँव के एक “भूमिहार ब्राह्मण” परिवार में हुआ था. जन्म से ब्राह्मण और कर्म से
क्षत्रिय मंगल पांडेय बचपन से ही बहादुर है कर्मनिष्ठ थे.
गाँव के एक “भूमिहार ब्राह्मण” परिवार में हुआ था. जन्म से ब्राह्मण और कर्म से
क्षत्रिय मंगल पांडेय बचपन से ही बहादुर है कर्मनिष्ठ थे.
उनकी माता का नाम अभयरानी पांडेय और पिता का नाम दिवाकर पांडेय था. सन 1849 में
मंगल पांडेय ब्रिटिश ईस्टइंडिया कंपनी की सेना में शामिल हो गए थे. महज 22 साल की
उम्र में वह ब्रिटिश ईस्टइंडिया कपंनी की बैरकपुर छावनी बंगाल नेटिव इन्फ्रेंटी
की 34वीं रेजिमेंट में बतौर सिपाही काम करते थे.
मंगल पांडेय ब्रिटिश ईस्टइंडिया कंपनी की सेना में शामिल हो गए थे. महज 22 साल की
उम्र में वह ब्रिटिश ईस्टइंडिया कपंनी की बैरकपुर छावनी बंगाल नेटिव इन्फ्रेंटी
की 34वीं रेजिमेंट में बतौर सिपाही काम करते थे.
मंगल पांडेय और कैप्टन विलयम गोर्डन का मिलन – Mangal Pandey and Captain wilyam
Gordon’s union
सन 1853 में बंगाल नेटिव इन्फ्रेंटी की 34वीं रेजिमेंट को अफगानी और पस्तुनी
हमलावरों से लड़ने के लिए अफगानिस्तान में नियुक्त किया गया था. उस लड़ाई में
कैप्टन विलयम गोर्डन पूरी तरह से घायल हो गए थे.
हमलावरों से लड़ने के लिए अफगानिस्तान में नियुक्त किया गया था. उस लड़ाई में
कैप्टन विलयम गोर्डन पूरी तरह से घायल हो गए थे.
तब मंगल पांडेय ने अपनी जान पर खेलकर कैप्टन विलयम गोर्डन की जान बचाई थी. कैप्टन
गोर्डन की जान बचाने में मंगल पांडेय को भी सीने में गोली लगी थी. फिर भी घायल
अवस्था मे भी मंगल पांडेय कैप्टन विलयम गोर्डन को सुरक्षित जगह पर ले गए थे.
गोर्डन की जान बचाने में मंगल पांडेय को भी सीने में गोली लगी थी. फिर भी घायल
अवस्था मे भी मंगल पांडेय कैप्टन विलयम गोर्डन को सुरक्षित जगह पर ले गए थे.
यही पर उनकी पहली मुलाकात हुई थी और उनकी दोस्ती की शुरुआत. जान बचाने के बदले
में कैप्टन गोर्डन ने मंगल पांडेय को अपनी बंदूक तौफे के रूप में दी थी. इसके बाद
तो उनकी दोस्ती को कई बार देखा गया. कभी अखाड़े में मस्ती भरे दंगल में, तो कभी
भांग के आवेश में किसी की टांग खिंचाई में.
में कैप्टन गोर्डन ने मंगल पांडेय को अपनी बंदूक तौफे के रूप में दी थी. इसके बाद
तो उनकी दोस्ती को कई बार देखा गया. कभी अखाड़े में मस्ती भरे दंगल में, तो कभी
भांग के आवेश में किसी की टांग खिंचाई में.
मंगल पांडेय और कैप्टन विलयम गोर्डन की दोस्ती में दरार – Crack in friendship
between Mangal Pandey and Captain wilyam Gordon
9 फरवरी 1857 में ‘एनफील्ड पी. 53’ राइफल को दुनिया की सांस अच्छी और सटीक राइफल
माना जाता था. उस वक्त अंग्रेजो ने ‘एनफील्ड पी. 53’ राइफल में नई कारतूस का
इस्तेमाल करना शुरू किया था. इसकी खासियत यह थी कि कारतूस में पहले से ही बारूद
और गोलियां मौजूद थी. बस उसे पहले मुँह से काटना पड़ता और राइफल में ठूसना पड़ता.
माना जाता था. उस वक्त अंग्रेजो ने ‘एनफील्ड पी. 53’ राइफल में नई कारतूस का
इस्तेमाल करना शुरू किया था. इसकी खासियत यह थी कि कारतूस में पहले से ही बारूद
और गोलियां मौजूद थी. बस उसे पहले मुँह से काटना पड़ता और राइफल में ठूसना पड़ता.
परंतु दिक्कत यह थी कि, उस कारतूस का ग्रीश गाय और सुवर की चमड़ी से बना था. गाय
और सुवर की चमड़ी अंग्रेजो को बहुत ही सस्ती पड़ती थी. गाय हिन्दुओ के लिए पवित्र
है और सुवर मुस्लिम के लिए हराम. इसीलिए हिन्दू और मुस्लिमो ने वह कारतूस का
इस्तेमाल करने से मना कर दिया.
और सुवर की चमड़ी अंग्रेजो को बहुत ही सस्ती पड़ती थी. गाय हिन्दुओ के लिए पवित्र
है और सुवर मुस्लिम के लिए हराम. इसीलिए हिन्दू और मुस्लिमो ने वह कारतूस का
इस्तेमाल करने से मना कर दिया.
अंग्रेजो ने मंगल पांडेय और कैप्टन विलयम गोर्डन का दोस्ती का फायदा उठाया.
अंग्रेजों ने कैप्टन गोर्डन को मंगल पांडेय को मनाने भेजा और कहा कि, कारतूस का
ग्रीश गाय और सुवर की चमड़ी से नही बना है. मंगल पांडेय कैप्टन विलयम गोर्डन को
बहुत मानते थे.
अंग्रेजों ने कैप्टन गोर्डन को मंगल पांडेय को मनाने भेजा और कहा कि, कारतूस का
ग्रीश गाय और सुवर की चमड़ी से नही बना है. मंगल पांडेय कैप्टन विलयम गोर्डन को
बहुत मानते थे.
मंगल पांडेय को विश्वाश था कि, कैप्टन गोर्डन उनसे कभी जुठ नही बोल सकते. इसिलए
मंगल पांडेय कैप्टन विलयम गोर्डन की बात मान गये और कारतूस का इस्तेमाल करना शुरू
कर दिया. मंगल पांडेय की वजह से बैरकपुर छावनी बंगाल नेटिव इन्फ्रेंटी की 34वीं
रेजिमेंट के सारे सिपाहीयो ने वह कारतूस का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया.
मंगल पांडेय कैप्टन विलयम गोर्डन की बात मान गये और कारतूस का इस्तेमाल करना शुरू
कर दिया. मंगल पांडेय की वजह से बैरकपुर छावनी बंगाल नेटिव इन्फ्रेंटी की 34वीं
रेजिमेंट के सारे सिपाहीयो ने वह कारतूस का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया.
परंतु मंगल पांडेय को जब पता चला कि, कारतूस गाय और सुवर की चमड़ी से ही बना है.
तो कैप्टन विलयम गोर्डन और मंगल पांडेय के बीच बहुत बहस हुई और उनकी दोस्ती में
दरार पड़ गई. मंगल पांडेय ने कैप्टन विलयम गोर्डन की उनकी बंदूक भी वापस कर दी जो
कैप्टन विलयम गोर्डन ने मंगल पांडेय को अपनी जान बचाने की लिए तौफे में दी थी.
तो कैप्टन विलयम गोर्डन और मंगल पांडेय के बीच बहुत बहस हुई और उनकी दोस्ती में
दरार पड़ गई. मंगल पांडेय ने कैप्टन विलयम गोर्डन की उनकी बंदूक भी वापस कर दी जो
कैप्टन विलयम गोर्डन ने मंगल पांडेय को अपनी जान बचाने की लिए तौफे में दी थी.
मंगल पांडेय द्वारा किया गया पहला विद्रोह – First revolt by Mangal Pandey
कारतूस का ग्रीश गाय और सुवर की चमड़ी से ही बना है यह जानने के बाद मंगल पांडेय
ने ब्रिटिश ईस्टइंडिया कंपनी के खिलाफ विद्रोह करार कर दिया. तब एक अंग्रेज अफसर
मेजर ह्यूसन और मंगल पांडेय में हाथापाई हो गई. उसी हाथापाई में मेजर ह्यूसन मंगल
पांडेय के हाथों मारा गया. मंगल पांडेय के रास्ते में आने वाले एक और अंग्रेजी
अधिकारी लेफ्टिनेंट बॉब भी मौत हो गई.
ने ब्रिटिश ईस्टइंडिया कंपनी के खिलाफ विद्रोह करार कर दिया. तब एक अंग्रेज अफसर
मेजर ह्यूसन और मंगल पांडेय में हाथापाई हो गई. उसी हाथापाई में मेजर ह्यूसन मंगल
पांडेय के हाथों मारा गया. मंगल पांडेय के रास्ते में आने वाले एक और अंग्रेजी
अधिकारी लेफ्टिनेंट बॉब भी मौत हो गई.
आखिर क्यों कि थी, मंगल पांडेय ने आत्महत्या की कोशिश – why mangal pandey
attempt suicide.
मंगल पांडेय को हाथों दो अंग्रेजी अफसर की हत्या हो जाने के कारण अंग्रेजी सिपाही
उन्हें गिरफ्तार करने आ रहे थे. मंगल पांडेय किसी अंग्रेज के हाथों नही मरना
चाहते थे. इसीलिए उन्होंने उसी राइफल के अपने सीने में गोली मार दी.
उन्हें गिरफ्तार करने आ रहे थे. मंगल पांडेय किसी अंग्रेज के हाथों नही मरना
चाहते थे. इसीलिए उन्होंने उसी राइफल के अपने सीने में गोली मार दी.
परंतु, अंग्रेजो द्वारा उन्हें बचा लिया गया और 7 अप्रैल 1857 को मंगल पांडेय को
‘सजा-ए-मौत’ के तहत फांसी की सजा सुनाई गई. परंतु 7 अप्रैल 1857 के दिन मंगल
पांडेय को फाँसी देने वाले जल्लाद ने उन्हें फाँसी देने से मना कर दिया. तब कुछ
दीनो के लिए फाँसी को रोक दिया गया और कलकत्ता से दूसरे चार जल्लादों को बुलाया
गया.
‘सजा-ए-मौत’ के तहत फांसी की सजा सुनाई गई. परंतु 7 अप्रैल 1857 के दिन मंगल
पांडेय को फाँसी देने वाले जल्लाद ने उन्हें फाँसी देने से मना कर दिया. तब कुछ
दीनो के लिए फाँसी को रोक दिया गया और कलकत्ता से दूसरे चार जल्लादों को बुलाया
गया.
मंगल पांडेय को कालकोठरी की बजाय सरेआम लोगो के सामने फाँसी दी गई. मंगल पांडेय
की इस सहादत ने पूरे भारत मे क्रांति की एक लहर ला दी. फाँसी पर जुलने से पहले
मंगल पांडेय के आखरी शब्द थे. “हल्लाबोल……”
की इस सहादत ने पूरे भारत मे क्रांति की एक लहर ला दी. फाँसी पर जुलने से पहले
मंगल पांडेय के आखरी शब्द थे. “हल्लाबोल……”
देखो-देखो समय क्या दिखाये…..
देखकर भी न विश्वास आये…..
कोई दुनिया से अब जा रहा है,
कितने गोरो से सर को उठाये…..धन्य है, भाग्य हर उस माँ का…..
के
जो ईसा बेटा पाये…..
वो निडर है…..वो अमर है…..
जान जाती है, तो अब जाए….. मंगल…..मंगल…..मंगल…..
मंगल…..मंगल…..मंगल……हो…..
इस लहर के चलते बहादुर शाह जफर की सेना ने दिल्ली में, रानी लक्ष्मीबाई ने झांसी
में और तात्या टोपे ने महाराष्ट्र में अंग्रेजो पर हल्लाबोल किया.
में और तात्या टोपे ने महाराष्ट्र में अंग्रेजो पर हल्लाबोल किया.
और इस तरह शुरू हुई भारत की और दुनिया की सबसे खूनी क्रांति. अंग्रेजो द्वारा इसे
सिपाही विद्रोह करार दिया गया पर हिन्दुस्तानियो के लिए था ये पहला ‘स्वंत्रता
संग्राम.’
सिपाही विद्रोह करार दिया गया पर हिन्दुस्तानियो के लिए था ये पहला ‘स्वंत्रता
संग्राम.’
इतिहास के पन्नो पर मंगल पांडेय ने अपना नाम सुवर्ण अक्षरों में लिख दिया. इस
लड़ाई में कैप्टन विलयम गोर्डन भी हिन्दुस्तानियो के साथ मिलकर अंग्रेजो के खिलाफ
लड़ा था. मंगल पांडेय का देखा हुआ सपना उनकी सहादत के 90 साल बाद 15 अगस्त 1947 को
पूरा हुआ. स्वतंत्रता संग्राम के पहला सहीद मंगल पांडेय “स्वतंत्रता संग्राम का
प्रतीक” बन गया.
लड़ाई में कैप्टन विलयम गोर्डन भी हिन्दुस्तानियो के साथ मिलकर अंग्रेजो के खिलाफ
लड़ा था. मंगल पांडेय का देखा हुआ सपना उनकी सहादत के 90 साल बाद 15 अगस्त 1947 को
पूरा हुआ. स्वतंत्रता संग्राम के पहला सहीद मंगल पांडेय “स्वतंत्रता संग्राम का
प्रतीक” बन गया.
मंगल पांडेय के कुछ रोचक तथ्य – some interesting facts about mangal pandey.
1. यह बहुत ही कम लोगो को पता है कि, मंगल पांडेय की हीरा नाम की एक प्रेमिका थी.
जिससे उन्होंने अपनी फाँसी के पहले जैल में शादी की थी.
जिससे उन्होंने अपनी फाँसी के पहले जैल में शादी की थी.
2. कैप्टन विलयम गोर्डन वह एक मात्र ऐसा अंग्रेज था जिसने मंगल पांडेय को फाँसी
से बचाने के लिए पूरी ब्रिटिश ईस्टइंडिया कंपनी से लड़ गया था.
से बचाने के लिए पूरी ब्रिटिश ईस्टइंडिया कंपनी से लड़ गया था.
3. मंगल पांडेय द्वारा लगाई गयी स्वंत्रता संग्राम की चिंगारी को और बढ़ावा
तात्या टोपे, रानी लक्ष्मीबाई और बहादुर शाह जफर ने दिया था.
तात्या टोपे, रानी लक्ष्मीबाई और बहादुर शाह जफर ने दिया था.
मंगल पांडेय को समर्पित यह ब्लॉग में हमने अपनी और से पूरी कोशिश की है की, उनके
जीवन की पूरी सच्ची जानकारी आप को दे. अगर हम से कोई गलती हुई है तो हम इसके लिए
क्षमाप्रार्थी है.
जीवन की पूरी सच्ची जानकारी आप को दे. अगर हम से कोई गलती हुई है तो हम इसके लिए
क्षमाप्रार्थी है.
Hi there I am so glad I found your webpage, I really found you by
mistake, while I was browsing on Digg ffor something
else, Nonetheless I am here now andd would just like to say
cheers for a tremendous post and a all round interesting blog (I also
love the theme/design),I don’t have time to lok ver it all at the minute but I
have bookmarked it andd also added in your RSS feeds, so when I have time I will
be back to read much more, Please do keep up the fantastic work.