सहस्त्रलिंग तलाव : मध्यकालीन विरासत

Advertisements
सहस्त्रलिंग तलाव : मध्यकालीन विरासत





सहस्त्रलिंग तलाव गुजरात राज्य के पाटन जिले में स्थित मध्यकालीन मानवनिर्मित तलाव है। यह तलाव रानी की वाव के ठीक पीछे स्थित है। यह तलाव अभी तो खंडित है पर यह ठीक होता तो रानी की वाव जितना तो नही पर यह सुंदर होता। ऐसा यहां पर मीले सुंदर नक्कासी वाले पत्थरों से अनुमान लगाया जाता है। 

Advertisements

सहस्त्रलिंग तलाव का निर्माण राजा सिद्धराज जयसिंह सोलंकी ने करवाया था। सहस्त्रलिंग तलाव का निर्माण रानी की वाव के बाद हुआ था जो की सरस्वती नदी के किनारे स्थित एक और जलप्रबंदक रचना है। जिसके निर्माण का उद्देश्य सरस्वती नदी से नहर बनाकर  तलाव में पानी लाना था। इस तालाब को अब भारत के पुरातत्व विभाग के द्वारा महत्व के राष्ट्रीय स्मारक में शामिल किया गया है। 

यहां पर तलाव के आसपास एक हजार शिव मंदिर का निर्माण किया गया था। इसी लिए इस तालाव को सहस्त्रलिंग तलाव कहा जाता है। क्योंकि संस्कृत में एक हजार का अर्थ सहस्त्र होता है। सहस्त्रलिंग तलाव पर एक लोककथा भी है। जब इस तालाब का निर्माण हो रहा था तब यहां पर काम करने वाली ओड समाज की एक स्त्री पर सिद्धराज जयसिंह की नजर पड़ी और वह जयसिंह को पसंद भी आ गई। उस स्त्री का नाम जसमा ओडन था। सिद्धराज जयसिंह ने जसमा ओडन से विवाह का प्रस्ताव भी रखा। तब जसमा ओडन ने श्राप दिया की यह तलाव में कभी पानी नही रहेगा। श्राप देने के बाद जसमा ओडन सती हो गई। 

अब श्राप से मुक्ति पाने के लिए वहां पर बत्तीश लक्षणों वाले मानव की बलि देनी होगी। तब भील समाज के मेधमाया ने बलि दी थी और तालाब को श्राप से मुक्त किया था। तब से मेधमाया के नाम के आगे वीर लगाया जाने लगा। सहस्त्रलिंग तालाव के पास एक टीले पर वीर मेधमाया का एक मंदिर है। मेधमाया के बलिदान की वजह से सिद्धराज जयसिंह ने मेधमाया के समाज वालो को नगर में रहने की छूट दी। 


ईस 1561 में दिल्ली के शासक अकबर के पूर्वसेनापति और शिक्षक बहराम खान मक्का हज के लिए निकले थे। जब वह पाटन में सरस्वती नदी के तट पर पहुचे तब उनकी हत्या करवाई गई थी। सहस्त्रलिंग तलाव के पीछे एक छोटे से मकबरे में बहराम खान की कब्र आज भी देखने को मिलती है। 
Advertisements

Leave a Comment