सीदी सैयद की जाली : 16वी सदी की विरासत।

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जब कभी भी वर्ल्ड हेरिटेज सिटी की बात आती है तो अहमदाबाद के नाम सबसे पहले आता है। अहमदाबाद जिसकी स्थापना 26 फरवरी 1411 को हुई थी। जो एक ग़ैरहिन्दू शासक अहमद शाह ने की थी और इसी के नाम से अहमदाबाद के नाम रखा गया। अहमदबाद में कई प्राचीन दरवाजे,मस्जिदे और बावड़ी देखने को मिलती है। अहमदाबाद जो अपने प्राचीन विरासत की वजह से दुनिया भर में मशहूर है। इसी की वजह से 9 जुलाई 2017 को अहमदाबाद को वर्ल्ड हेरिटेज सिटी में शामिल किया गया जिससे वो भारत का पहला वर्ल्ड हेरिटेज सिटी बना। उन्ही मेसे एक है अहमदाबाद में स्थित सीदीसैयद की जाली। 

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सीदी सैयद की जाली जो गुजरात राज्य के अहमदाबाद शहर में स्थित एक मस्जिद के दीवार की जाली है। जो सीदी सैयद की मस्जिद के नाम से जानी जाती है।इसी लिए इस जाली को सीदी सैयद की जाली कहा जाता है। इस मस्जिद में ऐसी चार जालीयाँ है। यह मस्जिद अहमदाबाद में लाल दरवाजा के पास में है। 

सीदी सैयद की जाली का निर्माण ईस 1572 में सीदी सैयद ने करवाया था। सीदी सैयद ने यह जाली का निर्माण गुजरात के सुल्तान शाम-उद-दिन मुजफ्फर शाह के सरदार बिलाल खान के लिए करवाया था। सीदी सैयद ने जब यह जाली के निर्माण का काम शूरू किया तब सुल्तान मुज़फ्फर शाह की सल्तनत को चारों तरफ से खतरा था।

दिल्ली के सुल्तान अकबर ने ईस 1587 में एक एक करके गुजरात के कई हिस्से जीत लिए तब सीदी सैयद को इसका निर्माण अधूरा छोड़ना पड़ा। सीदी सैयद की मृत्यु के बाद सीदी सैयद को उसने ही निर्माण करवाई हुई मस्जिद में दफनाया गया। तब से उस मस्जिद को सीदी सैयद मस्जिद के नाम से जाना जाता है। 

सीदी सैयद की जाली को एक ही पत्थर में से तरास कर बनाई गई और जिस पत्थर पर जाली को बनाया गया है वह पत्थर समय के साथ नष्ट होता है। इसके बावजूद आज भी सीदी सैयद की जाली वैसी की वैसी है। इस जाली पर नकसीकाम से एक खजूरी का जाड और कई वृक्ष की डालिया बनाई हुई है। यह जाली की ऊंचाई 7 फुट और  पहोलाई 10 फुट है। यह जाली के सन्मान में अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉरपोरेशन भेट में सीदी सैयद की जाली की छबि देते है। इतना ही नही पर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट ने अपने सिंबल में यह जाली को रखा है। 
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